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रीवा

mp election 2018 : ‘ जरूरत पर हम एक – दूसरे की मदद करते हैं, ये राजनीतिक पार्टियां समाज में दरार बढ़ा रही हैं ’

पत्रिका अभियान ‘चौक से चौक’ के तहत सुभाष चौक से इटौरा तक लोगों से की गई चर्चा

रीवाNov 20, 2018 / 02:19 pm

Vedmani Dwivedi

रीवा.लोगों की नब्ज को पकडऩे और जनता क्या चाहती है प्रदेश की नई सरकार से ? बीते पांच साल में जनता सरकार से कितना संतुष्ट है ? इसको लेकर पत्रिका की ओर से शुरू चौक से चौक अभियान के दूसरे दिन शनिवार को सुभाष चौक से विश्वविद्यालय रोड होते हुए खुटेही, स्टेडियम, निरालानगर, अनंतपुर से इटौरा बाइपास तक गए।

वहां युवा, व्यापारी, बुजुर्ग सहित हरवर्ग के मतदाताओं से बात की। युवा वर्ग बेरोजगारी से जूझ रहा, शहर में पानी निकासी की समस्या है। सामान्य वर्ग एसटीएससी एक्ट को लेकर डरा हुआ है। छोटे व्यवसाई भी परेशान हैं। कोई मीठे पानी की समस्या से जूझ रहा है।

कुछ लोगों का कहना है मंत्री, विधायक उनकी सुनते नहीं।

सुभाष चौक
ये छोटी सी दुकान आप देख रहे हैं इसको हम तीन लोगों ने मिलकर लिया है। इतनी महगी दुकान है कि अकेले ले नहीं सकते। अब कुछ न कुछ तो करना पड़ेंगा। क्या करें? दुकान लिए फिर उसमें सामान के लिए भी पूंजी चाहिए। ये क्या अकेले के बस की बात है। सुभाष चौक में किराने की दुकान चलाने वाले अजीत दुबे ग्राहकों को सामान देते हुए कहते हैं देखिए शहर का विकास तो हुआ लेकिन युवाओं को काम नहीं मिला। इधर – उधर भटक रहे हैं। कोई गुजरात जा रहा है तो कोई मुम्बई।

पेट्रोल टंकी के सामने
गुढ़ के रहने वाले राजेश मिश्रा कहते हैं हम लोग आपस में मिलजुलकर रहते हैं। जरूरत पर एक – दूसरे की मदद करते हैं लेकिन ये राजनीतिक पार्टियां समाज में दरार बढ़ा रही हैं। एसटीएससी एक्ट लाकर कितना विवाद खड़ा किया। राजनीतिक पार्टियों को हम सवर्णों का वोट नहीं चाहिए। इस सरकार में सामान्य वर्ग को कुछ नहीं मिला। किसी का काम नहीं हुआ। बस स्टैण्ड बिक गया। भाजपा वालों ने अपने-अपने पदाधिकारियों को लाभ दिया। हर जगह उन्हीं का तो काम चल रहा है।

खुटेही में
पान ठेले की दुकान चलाने वाले बीएस पाण्डेय कहते हैं। सरकार ठीक तो काम कर रही है। बिजली मिल रही है, रोड बन गई ओवरब्रिज बन गया, टाइगर सफारी। ये क्या कांग्रेस की सरकार के हैं। इसी सरकार ने बनवाया है। अब विकास में समय लगता है। हो रहा है। आने वाले दिनों में वो दिनों में जो बचा है वह भी होगा।

रंजीत मिश्रा कहते हैं रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज से एक स्टूडेंट्स का ट्रांसफर अन्य कॉलेज में कराना था। इसी काम के सिलसिले में राजेन्द्र शुक्ला से मिलने गया काम करना तो दूर उन्होंने मिलना और बात करना जरूरी नहीं समझा। पीटीएस से आ रहा हूॅ तीन बार जाम में फंसा। द्वारिका नगर में पानी भर जाता है। निकासी की व्यवस्था नहीं है। गुढ़ पावर प्लांट में कितने लडक़ों को नौकरी मिली।

पीचई कार्यालय के सामने
पीएचई कार्यालय के सामने बैजनाथ यादव अपने दूध लगे बर्तन साफ करते हुए कहते हैं 15 वर्ष इस सरकार के हो गए हैं, काफी ज्यादा समय हो गया है। जहां तक विकास की बात है तो हम दूध लेकर प्रतिदिन शहर में बेचने आते हैं। चाहे सरकार किसी की भी रहे हमें तो यही काम करना पड़ेगा। तभी हमारा घर परिवार चलेगा। चाहे सरकार किसी की हो हमारी हालत जैसे ही इसी तरह रहेगी। हमरा काम पड़ेगा तो कोई सुनने वाला नहीं है। भगवान करे नेता लोगों से कोई काम न पड़े। हमें कोई पूछने तक नहीं आएगा।


विश्वविद्यालय स्टेडियम
बाइक में सामान लेकर दुकान – दुकान तक सप्लाई करते हुए संजय केशवानी कहते हैं मैं रानीतालाब मोहल्ले का रहने वाला हूॅ। वहां हल्की बारिश होन पर लोगों के घरों में पानी भर जाता था। रानीतालाब में नाला बन गया। पानी निकासी की व्यवस्था हो गई। अब वहां पानी नहीं रुकता। ये तो इसी सरकार ने किया। शहर में 10 हजार दुकानें बन रही हैं। हर दुकान में कम से कम दो तीन लोगों को काम मिलेगा। चाहे कोई भी बनवा रहा हो इससे हमसे क्या मतलब? हमें आम खाने से मतलब है गिनने से नहीं।

निराला नगर
आपस में चर्चा कर रहे शिवा त्रिवेदी कहते हैं। कांग्रेस की सरकार में मनरेगा में रोजगार मिला था। लाइट मिलती नहीं थी। अब लाइट बराबर मिल रही है। रोड बन गई। जिसके पास टैलेंट है उन्हें रोजगार मिल रहा है। विजय सिंह कहते हैं एसटीएससी एक्ट की बता है वे आर्थिक रूप से पिछड़े, कमजोर है। जहां दुरुपयोग की बात है हम साथ – साथ रहते हैं। मेरे साथ ऐसी घटना नहीं हुई। हमने दुरुपयोग जैसा कोई ऐसा अनुभव नहीं किया।

विश्वविद्यालय के सामने
धनश्याम मिश्रा कहते हैं आठ फिट की रोड है धूल की वजह से दमा रोग हो रहा है। 15 वर्ष एक सरकार के लिए बहुत ज्यादा समय होता है। बदलाव होना चाहिए। इन्हें सवर्णों का वोट नहीं चाहिए। राकेश पाण्डेय कहते हैं गांव के बगल में फिल्टर प्लांट लगा है। गांव में पानी की सप्लाई की व्यवस्था नहीं हो पाई। पाइप लाइन नहीं बिछा पाए। न रोड है न पानी है। मिठे पानी की दिक्कत है।

इटौरा बाइपास
पान ठेले में बैठे गोविंद पाण्डेय कहते हैं शहर का विकास हुआ है, काम भी शहर में हुआ है लेकिन 15 वर्ष बहुत ज्यादा समय हो गया है। दूसरों को भी मौका देना चाहिए। नलनी कांत तिवारी कहते हैं शहर में अच्छा काम हुआ है। विकास हो रहा है। उमेश तिवारी कहते हैं कांग्रेस की सरकार में 30 रुपए महीने बिजली आती थी। 12 हजार रुपए महीने इस सरकार में बिजली बिल आ रही है।

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