दिसंबर माह में केवल दो विवाह योग्य शुभ लग्न प्राप्त हो रही है जो कि 12 एवं 13 दिसंबर को रहेंगी। इस प्रकार अगले वर्ष 2019 का इंतजार करना पड़ेगा। अक्सर देवउठनी के बाद शादी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त शुरू हो जाते हैं।
ज्योतिर्विद राजेश साहनी ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष सोमवार 16 जुलाई से हरिशयन,करकायन, शुक्र अस्त एवं गुरु अस्त के चलते विवाह मुहूर्तों पर विराम लग गया था। सामान्यत: प्रत्येक वर्ष हरिशयनी एकादशी से बंद हुए विवाह मुहूर्त देव उठनी एकादशी को खुल जाते हैं।
उसके बाद विवाह आदि शुभ मुहूर्तों का सिलसिला शुरू हो जाता है। परंतु इस वर्ष देव उठनी एकादशी के बाद भी गुरु एवं शुक्रअस्त के चलते शहनाइयां नहीं गूंजेगी।
उदित हो चुके हैं ग्रह
16 अक्टूबर को शुक्र पश्चिम दिशा में अस्त होकर 1 नवंबर को उदित हो चुके हैं लेकिन विवाह के अन्य कारक ग्रह बृहस्पति 10 नवंबर को पश्चिम में अस्त होकर 7 दिसंबर को पूर्व में उदय होंगे।
गुरु बालयत्व दोष 10 दिसंबर तक रहेगा। इसलिए इसके बाद ही विवाह आदि शुभ मुहूर्त शुरू हो सकेंगे। दिसंबर माह में भी केवल दो विवाह योग्य शुभ लग्न प्राप्त हो रही है जो कि 12 एवं 13 दिसंबर को रहेंगी। इसके पश्चात 16 दिसंबर से धनु नामक खरमास का प्रारंभ हो जाएगा। फिर विवाह मुहूर्त का अभाव होगा।
मकर संक्रांति के बाद बजेगी शहनाइयां
इसके पश्चात वर्ष 2019 अर्थात नव वर्ष में ही विवाह आदि मंगल कार्य हो सकेंगे। इस प्रकार से देव उठनी एकादशी 19 नवंबर के पश्चात सीधे 12 एवं 13 दिसंबर की 2 तारीखें विवाह योग्य शुभ हं। नए वर्ष में मकर संक्रांति के पश्चात विवाह मुहूर्त का खाता खुलेगा।