उधर, हैरान करने वाली बात यह है कि जिले में जिला प्रशासन की ओर से जागरुकता अभियान के लिए तरह-तरह की गतिविधियों आयोजित की गईं। यही नहीं बूथों पर एक साथ दीप जलाकर वोटरों को जागरुक करने का प्रयास किया गया। इसके बाद भी वर्ष 2013 के चुनाव से दो प्रतिशत अधिक ही मतदान हो सका। जिले में 47 हजार से अधिक मतदाता नए जुडऩे के बाद भी मतदान का प्रतिशत बीते साल की अपेक्षा औसत ज्यादा नहीं हो सका है।
जिले में चुनाव खर्च का ब्योरा देने में प्रत्याशियों का पसीना छूट रहा है। मतदान खत्म होने के तीसरे दिन भी न तो प्रत्याशी हिसाब दे सके हैं और न ही व्यय लेखा टीम के द्वारा प्रत्याशियों से मतदान के दिन तक खर्च की राशि का हिसाब लिया जा सका है। हैरान करने वाली बात तो यह कि चुनाव मैदान में पैसे पानी की तरह बजाए गए। लेकिन, व्यय लेखा की फौज फील्ड में मौज करती रही। कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति की गई है। उधर, व्यय लेखा की नोडल अधिकारी इला तिवारी ने बताया कि जिला स्तर पर अभी तक प्रत्याशियों के खर्च की जानकारी रिटर्निंग अधिकारियों ने उपलब्ध नहीं करायी है। जिन प्रत्याशियों ने हिसाब नहीं दिया है, ऐसे प्रत्याशियों को नोटिस जारी कर ब्यौरा मांगा गया है।
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विधानसभा, कुल वोटर, पड़े वोट, प्रतिशत
68-सिरमौर 194786 124786 64.87
69-सेमरिया 196688 136638 68.41
70-त्योंथर 189638 128899 68.70
71-मऊगंज 200971 134231 66.71
72देवतालाब 216494 134667 62.23
73मनगवा 22089 139662 59.67
74-रीवा 203904 135301 66.34
75-गुढ़ 206458 147337 71.23
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कुल 1628121, 1073136, 66.16
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