बिछिया नदी के पानी की जांच की गई तो डीओ जहां 6 मिलीमीटर प्रतिलीटर होना चाहिए तो वह 4.5 मिलीमीटर प्रतिलीटर पाया गया है। यानी ऑक्सीजन की मात्रा घट रही है। वहीं बीओडी जहां 2 मिलीमीटर प्रति लीटर होनी चाहिए वह 3.5 मिलीमीटर प्रतिलीटर पाई गई है। जो मानक से अधिक है।
बिछिया नदी में बहाव नहीं होने के कारण पानी में गंदगी बड़ी मात्रा दिनोंदिन बढ़ी है। स्थिति यह है कि लक्ष्मण बाग के पास लोग बिछिया के पानी में नहाने से भी कतरा रहे है। इसे लेकर आपत्ति आई थी जिसपर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पानी के नमूनों की जांच की। बताया गया है कि नदी का पानी नहाने के लायक भी नहीं रह गया है।
हरित अभिकरण ने बिछिया का प्रदूषण रोकने नगर निगम को नालों को डायवर्ट कर पानी ट्रीट करने के बाद नदी में छोडऩे का आदेश दिया था। इसके बावजूद नगर निगम इन बड़े गंदे नालों के पानी को बिछिया में मिलने से नहीं रोक पाया है। वहीं नदी का बहाव बनाए रखने के लिए नहर का पानी बिछिया में छोड़ा जाना था। इस संबंध में भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
बिछिया नदी का पानी शहर के लगभग 56 हजार घरों में नल के जरिए पहुंचता है। इसकी गुणवत्ता गिरने के कारण लोग दूषित पानी पी रहे है इससे लोगों में कई तरह की बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। वहीं ऑक्सीजन की मात्रा घटने से जलीय जंतुओं का जीवन भी संकट में पड़ गया है।
बिछिया में पानी के नमूनों की जो जांच रिपोर्ट आई है उसमें बॉयो कैमिकल की मात्रा बढ़ी है और आक्सीजन की घटी है। इससे पानी की गुणवत्ता अब बी श्रेणी पर पहुंच गई है। यह पानी पीने के लिए उपयुक्त नहीं माना जा सकता।
शुभी माथुर, वैज्ञानिक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रीवा