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सरकार की नीति पर निगम प्रशासन ने फेरा पानी, नेताओं को मिलेगा ऐसा लाभ

राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश के लिए एक मीडिया विज्ञापन नीति की घोषणा की थीनगर निगम डेढ़ वर्ष बाद भी टेंडर प्रक्रिया नहीं करा सका पूरी, राजनीतिक दबाव भारी
 

रीवाAug 28, 2018 / 12:13 pm

Mrigendra Singh

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रीवा। नगरीय निकायों के राजस्व का प्रमुख स्त्रोत होर्डिंग होते हैं। इनमें विज्ञापनों का प्रदर्शन करने वालों से राशि वसूली जाती है। बीते कुछ समय से अधिकारियों और एजेंसी संचालकों की मिलीभगत के चलते निकायों को बड़ा नुकसान भी होने की खबरें आती रही हैं। इस कारण राज्य सरकार ने शहरों में होर्डिंग लगाने की नई नीति ही तय कर दी है।
इस पर अब तक नगर निगम रीवा द्वारा काम शुरू नहीं किया जा सका है। पूर्व की तरह ही यहां पर एजेंसी संचालकों से ली जाने वाली दर निर्धारित है। शहर में जगह-जगह लगे होर्डिंग और अन्य विज्ञापन बोर्ड के लिए सरकार की नीति को नगर निगम करीब डेढ़ वर्ष बाद भी लागू नहीं करा पाया है। पूर्व में एजेंसियों को नोटिस जारी कर नए सिरे से पंजीयन कराने के लिए कहा गया था, लेकिन निगम की अपनी ही व्यवस्था पटरी पर नहीं आई है जिसके चलते पंजीयन नहीं हो पा रहा है।
राज्य सरकार के नियमों के तहत सभी एजेंसियों को नए सिरे से रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। एक अप्रैल २०१७ से नीति लागू हो चुकी है, जिस पर लेटलतीफी चल रही है। बीते साल नगर निगम प्रशासन ने नोटिस जारी कर कहा था कि बगैर रजिस्ट्रेशन के कोई भी होर्डिंग शहर में नहीं रहेंगे। जिन लोगों ने लगाया है वह स्वयं हटा लें अन्यथा इन्हें तोडऩे की कार्रवाई शुरू की जाएगी। चेतावनी के बाद निगम के अधिकारी दूसरे कार्यों में उलझ गए और होर्डिंग का काम ठप हो गया।
एमआइसी ने भी नहीं लिया संज्ञान
निगम के राजस्व को बढ़ाने और शहर की समस्याओं पर मेयर इन काउंसिल कई बार स्वयं संज्ञान लेती है और अधिकारियों से जवाब मांगा जाता है। होर्डिंग के मामले में अब तक एमआइसी ने भी कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। निगम परिषद की बैठकों में कांग्रेस के पार्षद विनोद शर्मा, निर्दलीय पार्षद नम्रता सिंह आदि ने कई बार मुद्दा उठाया लेकिन इनकी बातों को तरजीह सत्ता पक्ष की ओर से नहीं मिली। एक बार बैठक के एजेंडे में ही इस मुद्दे को शामिल किया गया था लेकिन जैसे ही चर्चा शुरू हुई, पूरा सत्ता पक्ष सदन छोड़कर बाहर चला गया। जिसके बाद यह आरोप लगे कि होर्डिंग संचालकों से इनकी साटगांठ है।
अब तक पुराने स्ट्रक्चर नहीं हटाए गए
पहले से शहर में होर्डिंग के जो स्ट्रक्चर लगे थे, उन्हें अब तक नहीं हटाया गया है। नगरीय प्रशासन विभाग ने नगर निगम को निर्देशित किया था कि पहले से जो स्ट्रक्चर थे उन्हें एजेंसियां नहीं हटाए तो जब्ती की कार्रवाई की जाए। निगम प्रशासन और विज्ञापन एजेंसियों के बीच इस बात को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है कि पूर्व से लगाए गए होर्डिंग के स्ट्रक्चर हटाए जाएं। एजेंसी संचालकों का कहना है कि स्ट्रक्चर निकालने और दोबारा लगाने में लाखों रुपए खर्च होंगे। निगम के अधिकारी नियमों का हवाला देकर कह रहे हैं कि जिस एजेंसी के होर्डिंग लगे पाए जाएंगे उसे रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा।
चुनाव तक कोई कार्रवाई नहीं चाहता निगम
विधानसभा चुनाव जल्द ही होने वाले हैं ऐसे में प्रत्याशियों और पार्टी के प्रचार के लिए होर्डिंग बड़ा माध्यम साबित होंगे। इस वजह से नगर निगम में सत्ता पक्ष यह नहीं चाह रहा है कि विज्ञापन की नई नीति के तहत नियम लागू किए जाएं। नई नीति से हर होर्डिंग और उसमें लगने वाले विज्ञापन का हिसाब होगा। अभी सभी होर्डिंग को अवैध घोषित किया जा चुका है, जिससे आधिकारिक रूप से विज्ञापन साबित नहीं हो पाएगा। अवैध होर्डिंग के माध्यम से प्रत्याशियों का प्रचार किया जाएगा।
इसकी प्रक्रिया चल रही है
नई विज्ञापन नीति होर्डिंग पर लागू की जाएगी, इसकी प्रक्रिया चल रही है। इसके रजिस्ट्रेशन के लिए निर्धारित शर्तें पूरी करने वाली एजेंसियां अभी नहीं आ रही हैं, इस वजह से कुछ विलंब हुआ है। प्रयास है कि जल्द ही कार्रवाई पूरी की जाए।
अशोक सिंह, सहायक संपत्ति अधिकारी नगर निगम

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