ऐसे में नयी आबकारी नीति के तहत रीवा जिले में एक समूह को ठेका दिया जायेगा। जिले में देशी व अंग्रेजी शराब की 77 दुकानें है जिसका ठेका करीब 22 समूहों द्वारा लिया गया है और उसका संचालन किया जा रहा है। लेकिन आगामी सत्र से व्यवस्था बदल जायेगी और एक समूह को सभी शराब दुकानों का ठेका दिया जायेगा। ऐसे में छोटे समूह शराब दुकानों का ठेका पाने से वंचित रह जायेंगे।
दरअसल यह व्यवस्था वर्ष 2002 के पूर्व भी लागू थी जिसमें शराब दुकानों का ठेका एक समूह को दिया जाता था लेकिन उसके बाद व्यवस्था में परिवर्तन हो गया। सरकार की नयी आबकारी नीति से छोटे समूहों को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। अब शराब दुकानों का ठेका आर्थिक दृष्टि से मजबूत शराब दुकान के ठेकेदार ही उठा सकते है।
ये होंगे फायदे
सरकार द्वारा आबकारी नीति में किये गये बदलाव कई मायनों में महत्वपूर्ण माने जा रहे है। दरअसल इससे अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगेगा। आमतौर पर यह देखने में आता है कि शराब ठेकेदार एक दूसरे के इलाके में पैकारी करवाते है और अवैध शराब की सप्लाई करते है। पूरे जिले का ठेका एक समूह के पास होने पर इस पर अंकुश लगेगा। हालांकि नयी नीति कितनी कारगर होगी यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।
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आबकारी नीति में बदलाव किया गया है और रीवा में एक समूह को पूरी 77 दुकानों का ठेका दिया जायेगा। इस संबंध में आदेश जारी हुआ है। आगामी सत्र से उक्त आदेश को लागू किया जायेगा।
विनोद कुमार पाण्डेय, सहायक आबकारी आयुक्त