तत्कालीन नगर पालिका अधिकारी शैलेन्द्र बहादुर सिंह चौहान, एसडीओ बृजेन्द्र वर्मा, उपयंत्री सुखेन्द्र सिंह तोमर, क्लर्क सीपी सिंह, आरआई सौरभ निगम के साथ ही ठेकेदार अभिदीप सोनी, सुनील गर्ग आदि के विरुद्ध भादवि की धारा 420, 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)डी एवं13(2)के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। इस मामले में मांगे गए दस्तावेज नगर पालिका की ओर से नहीं दिए जा रहे थे, जिसके चलते छापामार कार्रवाई कर रिकार्ड जब्त किए गए हैं।
नगर पालिका शहडोल ने स्वामी विवेकानंद शॉपिंग कॉम्पलेक्स के निर्माण के लिए 10 फरवरी 2015 को टेंडर जारी किया था। इसी तरह बाणगंगा पार्क के सौंदर्यीकरण आदि के निर्माण के लिए 11 फरवरी 2015 को निविदा प्रकाशित कराई गई थी। शिकायत हुई तो जांच कराई गई, जिसमें पाया गया कि निविदा जारी होने से पहले ही उक्त निर्माण करा लिए गए थे और ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए बाद में टेंडर की प्रक्रिया पूरी की गई।
अधिकारियों ने ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से जल्दबाजी में कार्य कराया। लेकिन वह समय के अंतराल पर ध्यान नहीं देने के चलते आरोपों के घेरे में आए। 13 अप्रैल 2015 को कार्यादेश जारी किया गया और 18 मई 2015 को निर्माण पूरा हो गया। वहीं 22 मई और 16 जून को 3.75५ लाख रुपए और 10.68 लाख रुपए का चेक से भुगतान भी कर दिया। साथ ही ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया था।
ईओडब्ल्यू की टीम ने छापामार कार्रवाई करते हुए शहडोल नगर पालिका कार्यालय से 3 नोटसीट,3 स्टीमेट, 3 बैठक एजेंडा, 2 माप पुस्तिका, एक कैशबुक, 9 टेंडर डाक्यूमेंट, 3 एग्रीमेंट, 3 वर्क आर्डर, 3 बिल वाउचर, 3 तकनीकी स्वीकृति, 3 प्रशासकीय स्वीकृति, 9 कोटेशन, 3 निविदा आमंत्रण से जुड़े दस्तावेज, 9 टेंडर फार्म, 5 पदस्थापना आदेश, एक बजट डाक्यूमेंट आदि की जब्ती की है।
ईओडब्ल्यू रीवा के एसपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि नगर पालिका शहडोल में अधिकारियों ने टेंडर फिक्सिंग कर लाखों रुपए का अनियमित भुगतान किया था। एफआईआर पहले ही दर्ज की गई थी, अब दस्तावेजों के लिए छापामार कार्रवाई की जा रही है। पहले दिन कई प्रमुख दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं।