जानकारी के अनुसार चिरहुला मंदिर में 1/4 की गार्ड हर समय ड्यूटी करती है। दिन व रात को मंदिर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था संभालने के लिए होमगार्ड के कर्मचारी तैनात होते हंै। उक्त कर्मचारियों को ठहरने के लिए मंदिर के समीप ही एक बिल्डिंग दी गई है जहां वे रहते हैं। उक्त बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो गई है। हालत यह है कि बारिश होने पर पूरे कमरों में पानी भर जाता है और पुलिसकर्मियों को बैठने तक की जगह नहीं बचती है।
शनिवार की रात हुई बारिश के दौरान पुलिसकर्मियों के सारे कपड़े खराब हो गए और उनको कमरे के अंदर भी पानी से बचने के लिए पॉलीथिन का सहारा लेना पड़ा। बारिश होने पर अक्सर पुलिसकर्मी कमरे से निकलकर मंदिर में चले जाते है। उक्त बिल्डिंग की छत पूरी तरह से डैमेज हो गई है। यदि किसी दिन छत धराशायी होती है तो बड़ी घटना घट जायेगी। यह भवन नगर निगम के आधीन है और उसके मरम्मत की जिम्मेदारी भी नगर निगम पर ही है। अधिकारी जिस तरह से उक्त भवन की मरम्मत को नजरअंदाज कर रहे हैं उससे शीघ्र उनकी समस्या दूर होने की उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है।
उक्त बिल्डिंग की मरम्मत आश्वासन मेंं अटका है। पुलिसकर्मियों ने विभाग के अधिकारियों को भी जर्जर भवन के संबंध में जानकारी दी थी। यहां तक कि तत्कालीन मंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने भी भवन की मरम्मत का आश्वासन दिया था लेकिन आज भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। अनुशासन की जंजीरों में बंधे पुलिसकर्मी इस समस्या को दूर करने का प्रयास तक नहीं कर पा रहे हैं।