मेष-आंवला, कोचिला, खैर।
मिथुन- खैर, शीशम।
सिंह– बरगद, पलाश।
तुला- बेल, अर्जुन, कटाई।
धनु– साल, जलवेतस, मदार।
कुंभ– शमी, कदम्ब, कमल।
वृष– जामुन, गूलर।
कर्क– पीपल, नागकेश्वर।
कन्या– रीठा, पाकड़।
वृश्चिक– मौलश्री, चीड़।
मकर-आक, कटहल।
मीन– आम, नीम, महुआ।
ग्रहों का दोष दूर करने के लिए भी औषधीय पौधे तैयार किए जाएंगे। जिसमें सूर्य- श्वेत आक, बांस, बेल, अपामार्ग। चंद्रमा- खिरनी, पलाश, हरिश्रृंगार, चमेली, कनेरी। मंगल- अनंतमूल, सतावर, खैर। बुद्ध- बिधारा, अपामार्ग, आंवला। बृहस्पति- केला, भारंगी, पीपल, पपीता। शुक्र- सरपूंखा, उदंबर, अरणी। शनि- शमी। राहु- श्वेत चंदन, दूर्बा, बबूल, सत्यानाशी। केतु- अश्वगंधा, लाजवंती, कुशा, नारियल।
वन अनुसंधान एवं विस्तार की जयंती कुंंज स्थित आदर्श रोपणी के प्रभारी शिवशंकर रावत का कहना है कि नक्षत्र वाटिका तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कई प्रजातियों के पौधे लगाए गए हैं। कुछ ऐसे दुर्लभ पौधे हैं जो रोपणी में नहीं थे और आसपास के जंगलों में भी नहीं हैं। इन पौधों के तलाशने के लिए मैदानी क्षेत्र में काम कर रहे वन विभाग के अमले की मदद ली जा रही है। बताया जा रहा है कि चचाई जलप्रपात, क्योंटी, सोहागी, कटाई, गोविंदगढ़, गड्डी, बदवार-मोहनिया आदि के जंगलों में कई दुर्लभ पौधे हैं जिन्हें वन एवं अनुसंधान वृत्त की रोपणी में लाया जाएगा और उनसे पौधों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
पौधों पर लंबे समय से अध्ययन कर रहे ज्योतिष के जानकार डॉ. कालिंदीरमण मिश्रा ने बताया कि पौधों का मनुष्य जीवन में बड़ा प्रभाव होता है। इसके वैज्ञानिक तर्क भी हैं कि घर के आसपास किस तरह के पौधे होना चाहिए। कुछ को देखने, स्पर्श करने, उनके सेवन आदि से स्वास्थ्य को लाभ होता है। जिस तरह नक्षत्रों का प्रभाव मनुष्य पर होता है उसी तरह वनस्पतियां भी नक्षत्रों से प्रभावित होती हैं। इसी के चलते चिन्हित पौधों को लगाने की सलाह दी जाती है, जिससे घर में सुख-शांति बनी रहती है। डॉ. मिश्रा का कहना है कि तुलसी का पौधा हर वास्तुदोष को दूर करता है।