कॉलेज के जिम्मे ग्राउंड का सुधार कार्य
न्यायालय के निर्देश को नजरअंदाज करते हुए बिना कॉलेज प्रशासन से अनुमति लिए मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन तो कर लिया गया। लेकिन क्षत-विक्षत ग्राउंड को दुरुस्त कौन कराएगा। कॉलेज प्रशासन इसको लेकर परेशान है। परेशानी की मूल वजह यह है कि ग्राउंड मेंटेन करने का कार्य खुद कॉलेज के जिम्मे आता जान पड़ रहा है।
न्यायालय के निर्देश को नजरअंदाज करते हुए बिना कॉलेज प्रशासन से अनुमति लिए मैदान में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन तो कर लिया गया। लेकिन क्षत-विक्षत ग्राउंड को दुरुस्त कौन कराएगा। कॉलेज प्रशासन इसको लेकर परेशान है। परेशानी की मूल वजह यह है कि ग्राउंड मेंटेन करने का कार्य खुद कॉलेज के जिम्मे आता जान पड़ रहा है।
ग्राउंड दुरूस्त करने नहीं है कोई बजट
ग्राउंड की इस स्थिति को लेकर कॉलेज में मंगलवार को एक बैठक के दौरान अधिकारियों के बीच चर्चा भी की गई। चर्चा में यह बिन्दु उठा कि ग्राउंड को दुरुस्त करने के लिए किसे कहा जाए। अधिकारी इस बात को लेकर परेशान है कि कहीं ग्राउंड को मेंटेन करने की जिम्मेदारी उन्हीं के सिर न आ जाए। मैदान में आयोजन की अनुमति कॉलेज की ओर से जारी नहीं किया गया है, इसलिए कॉलेज प्रशासन किसी को ग्राउंड मेंटेन करने के लिए कहने की स्थिति में नहीं है।
ग्राउंड की इस स्थिति को लेकर कॉलेज में मंगलवार को एक बैठक के दौरान अधिकारियों के बीच चर्चा भी की गई। चर्चा में यह बिन्दु उठा कि ग्राउंड को दुरुस्त करने के लिए किसे कहा जाए। अधिकारी इस बात को लेकर परेशान है कि कहीं ग्राउंड को मेंटेन करने की जिम्मेदारी उन्हीं के सिर न आ जाए। मैदान में आयोजन की अनुमति कॉलेज की ओर से जारी नहीं किया गया है, इसलिए कॉलेज प्रशासन किसी को ग्राउंड मेंटेन करने के लिए कहने की स्थिति में नहीं है।
बिना अनुमति आयोजित हुआ कार्यक्रम
कॉलेज प्राचार्य डॉ. सत्येंद्र शर्मा के मुताबिक आयोजन को लेकर नगर निगम की ओर से अनुमति के बावत एक प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन प्राचार्य ने इस तर्क के साथ अनुमति देने से हाथ खड़ा कर दिया कि खेल मैदान में इतर गतिविधियों के आयोजन पर हाइकोर्ट की ओर से प्रतिबंध लगाया गया है। सूत्रों की माने तो बाद में बिना कॉलेज प्रशासन की अनुमति के कार्यक्रम का आयोजन करा लिया गया। इसमें जिला प्रशासन के विशेष अधिकार का प्रयोग किया गया माना जा रहा है।
कॉलेज प्राचार्य डॉ. सत्येंद्र शर्मा के मुताबिक आयोजन को लेकर नगर निगम की ओर से अनुमति के बावत एक प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन प्राचार्य ने इस तर्क के साथ अनुमति देने से हाथ खड़ा कर दिया कि खेल मैदान में इतर गतिविधियों के आयोजन पर हाइकोर्ट की ओर से प्रतिबंध लगाया गया है। सूत्रों की माने तो बाद में बिना कॉलेज प्रशासन की अनुमति के कार्यक्रम का आयोजन करा लिया गया। इसमें जिला प्रशासन के विशेष अधिकार का प्रयोग किया गया माना जा रहा है।
लाखों पहले ही हो चुका है खर्च
कॉलेज के एनसीसी ग्राउंड को हॉकी ग्राउंड के रूप में तैयार करने के बावत पूर्व में यूजीसी की ओर से मिले करीब 80 लाख रुपए का बजट खर्च हो चुका है। लेकिन समय-समय पर खेल गतिविधियों से इतर कार्यक्रमों के आयोजन के चलते ग्राउंड में हॉकी के बावत मैदान तैयार करना अब तक संभव नहीं हो सका है। एक बार फिर कॉलेज प्रशासन को केवल ग्राउंड दुरुस्त करने में लाख रुपए तक खर्च करना पड़ेगा। बजट किस मद से लिया जाए, इसको लेकर कॉलेज प्रशासन परेशान है।
कॉलेज के एनसीसी ग्राउंड को हॉकी ग्राउंड के रूप में तैयार करने के बावत पूर्व में यूजीसी की ओर से मिले करीब 80 लाख रुपए का बजट खर्च हो चुका है। लेकिन समय-समय पर खेल गतिविधियों से इतर कार्यक्रमों के आयोजन के चलते ग्राउंड में हॉकी के बावत मैदान तैयार करना अब तक संभव नहीं हो सका है। एक बार फिर कॉलेज प्रशासन को केवल ग्राउंड दुरुस्त करने में लाख रुपए तक खर्च करना पड़ेगा। बजट किस मद से लिया जाए, इसको लेकर कॉलेज प्रशासन परेशान है।