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रीवा

कांग्रेस पार्षदों को पद से हटाने का प्रस्ताव निरस्त, राजनीतिक प्रतिद्वंदिता से प्रेरित माना गया प्रस्ताव

 
– एक साल पहले निगम के नेता प्रतिपक्ष अजय मिश्रा एवं पार्षद रामप्रकाश तिवारी के विरुद्ध दर्ज कराई गई थी शिकायत- संभागायुक्त ने कहा पद से हटाने के लिए कोई ठोस साक्ष्य नहीं

रीवाOct 18, 2019 / 12:40 pm

Mrigendra Singh


रीवा। नगर निगम में हुए विवाद के बाद कांग्रेस के दो पार्षदों को पद से हटाए जाने के प्रस्ताव को संभागायुक्त ने खारिज कर दिया है। इस प्रकरण को समाप्त करने का आदेश संभागायुक्त की ओर से जारी किया गया है। करीब एक वर्ष पहले नगर निगम में संबल योजना के कार्ड वितरण के समय हितग्राहियों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन के दौरान अधिकारियों और पार्षदों के बीच विवाद हुआ था। इसमें निगम के कर्मचारियों द्वारा की गई शिकायत को आधार मानते हुए तत्कालीन निगम आयुक्त ने निगम के नेता प्रतिपक्ष वार्ड 17 के पार्षद अजय मिश्रा बाबा और वार्ड 29 के पार्षद रामप्रकाश तिवारी डैडू को पार्षद पद से हटाए जाने का प्रस्ताव भेजा गया था।
निगम आयुक्त के इस प्रस्ताव पर कलेक्टर ने भी 29 जनवरी 2019 को प्रतिवेदन संभागायुक्त के पास भेज दिया, जिसमें सुनवाई के बाद संभागायुक्त की न्यायालय ने कलेक्टर के प्रस्ताव को निरस्त करते हुए कहा है कि नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 17 एवं 19 के तहत कार्रवाई करने के कोई पर्याप्त साक्ष्य नहीं है।
इस मामले में नगर निगम के समयपाल खुशीनंद खरे और अरुण शुक्ला की ओर से शिकायत की गई थी। अरुण शुक्ला की ड्यूटी दूसरे वार्ड में थी, इसलिए वह कोई साक्ष्य नहीं दे पाए और खुशीनंद भी यह कारण नहीं बता पाए कि उनसे किस तरह की जोर जबरदस्ती हुई। वहीं घटना के 45 घंटे बाद पुलिस में रिपोर्ट लिखाए जाने के मामले में भी पार्षदों के पक्ष से अधिवक्ता अखंड प्रताप सिंह ने राजनीति से प्रेरित बताया। कई ऐसे तथ्य दिए गए जिसमें बताया गया कि पार्षदों को विरोधी दल का होने की वजह से जानबूझकर फंसाया गया। इन तथ्यों के आधार पर प्रकरण निरस्त कर दिया गया है।
– संबल कार्ड वितरण के दौरान हुआ था बवाल
संबल योजना का कार्ड वितरित करने के लिए हर वार्ड की कमेटियां बनाई गई थी। इसमें भाजपा से जुड़े लोगों को शामिल किया गया था और कांग्रेस पार्षदों को इन कमेटियों में नहीं रखा गया था। २० अगस्त २०१८ को वार्ड २९ के स्थानीय लोग संबल कार्ड की मांग के लिए निगम कार्यालय में प्रदर्शन कर रहे थे। इसी बीच वार्ड पार्षद रामप्रकाश तिवारी डैडू भी पहुंचे और उन्होंने भी कार्ड वितरण की मांग उठाई। प्रदर्शन के बीच ही महापौर ममता गुप्ता एवं निगम आयुक्त आरपी सिंह भी पहुंचे।
आयुक्त ने पार्षद के विरुद्ध आपत्ति जनक शब्दों का प्रयोग किया तो मामला और भड़क गया। महिलाओं की नाराजगी के बीच आयुक्त को वहां से किसी तरह निकाला गया। इस दौरान महापौर ने अपने कक्ष में आयुक्त एवं कांग्रेस पार्षद को चर्चा के लिए बुलाया। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष अजय मिश्रा भी पहुंचे, जहां पर उनकी और आयुक्त की नोकझोंक हो गई। इसी दौरान कुछ कर्मचारियों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और पार्षदों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग उठाई। इस मामले को लेकर कई दिनों तक भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप चलता रहा।

– दस्तावेजों की प्रमाणिकता पर भी सवाल
कलेक्टर द्वारा भेजे गए प्रतिवेदन का अध्ययन करने के बाद संभागायुक्त ने आदेश में कहा है कि समयपाल खुशीनंद खरे के जिस आवेदन को आधार बनाया गया है, उसमें आवेदन करने की तिथि का उल्लेख नहीं है। निगम कार्यालय की आवक पंजी मेें भी यह दर्ज नहीं है। इसी तरह नगर निगम श्रमिक कर्मचारी परिषद के पत्र में क्रमांक का उल्लेख नहीं है और यह महापौर एवं आयुक्त को भी प्रेषित किया गया था। निगम के आवक पंजी में यह भी दर्ज नहीं है। इसलिए इन पत्रों की प्रामाणिकता पर भी सवाल है।

– अब एमआइसी मेंबर की बारी
संभागायुक्त कार्यालय में मेयर इन काउंसिल के सदस्यों की पार्षद शून्य किए जाने का भी प्रस्ताव निगम आयुक्त की ओर से दिया गया है। इन पर आरोप है कि निगम को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। कांग्रेस पार्षदों के मामले में निराकरण के बाद अब एमआइसी सदस्यों पर हो रही सुनवाई पर सबकी नजरें होंगी। आगामी 11 नवंबर तक नौ सदस्यों को जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

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