जयंतीकुंज आदर्श नर्सरी के इंचार्ज शिवशंकर रावत ने बताया कि जंगलों से दुर्लभ पौधों के बीच संकलित कर उनके नए पौधे तैयार किए जाएंगे। साथ ही इन पौधों के गुणों के बारे में भी बताया जाएगा। शासन द्वारा निर्धारित दर के अनुसार पौधे आम लोगों के लिए भी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सुग्रीव यादव गड़ेहरा(अंतरैला), प्रमोद सिंह रीवा, संतोष तिवारी सेमरिया सहित अन्य कई वैद्यों से जानकारी ली जा रही है। जंगलों में जाकर ये औषधियों की पहचान कर रहे हैं। अभी और संख्या में लोगों को जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है, जो औषधियों के बारे में जानकारी रखते हैं।
सेमरिया, अंतरैला, डभौरा, बरदहा, सोहागी, मोहनिया, गोविंदगढ़ आदि के जंगलों में पाई जाने वाले औषधियों की पहचान शुरू की गईहै। वैद्य सुग्रीव यादव बताते हैं कि जो औषधियां विलुप्त हो रही हैं, उसमें प्रमुख रूप बराहीकंद, कंकोरकंद, काली हर्दी, बज्रगांठ, वन केला, बिधारी, तीखुर, खुरकंद, वन तुलसी, अजूर, जमालघोटा, हर श्रृंगार, मैदा, महुलाइन सहित कईअन्य औषधियां हैं जिनका संरक्षण किया जाना है।
वन समितियों में काम करने वाले लोगों को भी औषधियों का महत्व बताया जाएगा। साथ ही उन्हें भी इसके लिए तैयार किया जाएगा कि विलुप्त हो रही औषधियों के बीज एवं कलम संकलित कर नर्सरी तक पहुंचाएं, जहां पर उनका संरक्षण किया जा सके। बताया गया हैकि इसके लिए कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी।