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रीवा

विलुप्त हो रही औषधियों का संरक्षण कराएगा वन विभाग, जंगलों से संकलित किए जाएंगे बीज

जंगलों से दुर्लभ औषधियों के बीज संकलित कर वन अनुसंधान वृत्त रोपणी में तैयार करेगा पौधे, ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे पांच वैद्यों को औषधि पहचानने में लेंगे सहारा

रीवाDec 29, 2018 / 06:34 pm

Balmukund Dwivedi

Rare medicines will be protected

Rare medicines will be protected

रीवा। वन अनुसंधान वृत्त एक बार फिर दुर्लभ औषधियों के संरक्षण की योजना बना रहा है। इन औषधियों के बीज संकलित कर अनुसंधान वृत्त की नर्सरी में नए पौधे तैयार किए जाएंगे। इससे विलुप्त हो रही औषधियों का संरक्षण के साथ ही उनके बारे में लोगों को जानकारी भी दी जा सकेगी। इसके लिए विभाग ने ग्रामीण एवं जंगली क्षेत्रों में काम कर रहे वैद्यों का भी सहयोग लेने की तैयारी की है। विभाग के अधिकारियों का दावा है कि करीब आधा दर्जन वैद्य जुड़ चुके हैं और अभी दर्जन भर और लोगों को जोड़ा जाएगा, जो जंगलों में मौजूद औषधीय पौधों एवं कंदों को पहचानते हैं। इसमें से कइयों ने बीज संकलित कर देना प्रारंभ कर दिया है। अनुसंधान की नर्सरी को आदर्श नर्सरी के रूप में स्थापित करने के लिए शासन से निर्देश आए हैं, इसलिए यहां पर दुर्लभ पौधों को लेकर फोकस किया जा रहा है।
पौधों के गुण भी बताएगा विभाग
जयंतीकुंज आदर्श नर्सरी के इंचार्ज शिवशंकर रावत ने बताया कि जंगलों से दुर्लभ पौधों के बीच संकलित कर उनके नए पौधे तैयार किए जाएंगे। साथ ही इन पौधों के गुणों के बारे में भी बताया जाएगा। शासन द्वारा निर्धारित दर के अनुसार पौधे आम लोगों के लिए भी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सुग्रीव यादव गड़ेहरा(अंतरैला), प्रमोद सिंह रीवा, संतोष तिवारी सेमरिया सहित अन्य कई वैद्यों से जानकारी ली जा रही है। जंगलों में जाकर ये औषधियों की पहचान कर रहे हैं। अभी और संख्या में लोगों को जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है, जो औषधियों के बारे में जानकारी रखते हैं।
इन प्रमुख औषधियों के संकलन पर जोर
सेमरिया, अंतरैला, डभौरा, बरदहा, सोहागी, मोहनिया, गोविंदगढ़ आदि के जंगलों में पाई जाने वाले औषधियों की पहचान शुरू की गईहै। वैद्य सुग्रीव यादव बताते हैं कि जो औषधियां विलुप्त हो रही हैं, उसमें प्रमुख रूप बराहीकंद, कंकोरकंद, काली हर्दी, बज्रगांठ, वन केला, बिधारी, तीखुर, खुरकंद, वन तुलसी, अजूर, जमालघोटा, हर श्रृंगार, मैदा, महुलाइन सहित कईअन्य औषधियां हैं जिनका संरक्षण किया जाना है।
वन समितियों को भी करेंगे तैयार
वन समितियों में काम करने वाले लोगों को भी औषधियों का महत्व बताया जाएगा। साथ ही उन्हें भी इसके लिए तैयार किया जाएगा कि विलुप्त हो रही औषधियों के बीज एवं कलम संकलित कर नर्सरी तक पहुंचाएं, जहां पर उनका संरक्षण किया जा सके। बताया गया हैकि इसके लिए कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी।

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