विश्वविद्यालय के संवेदनहीन अधिकारियों की ओर से उन्हें सुविधायुक्त भवन से यह कहते हुए बाहर किया गया था कि जल्द ही उनके लिए नए भवन में बेहतर सुविधाएं मिलने लगेंगी। नतीजा गर्मी में लू के थपेड़े और बारिश में बौछारे सहने के बाद एक बार फिर से छात्र शीतलहर झेलने को मानसिक रूप से खुद को तैयार करने में जुटे हैं।
विश्वविद्यालय के अधिकारियों की संवेदनहीनता का अंदाजा महज इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्र-छात्राओं की कक्षा तीन ओर से खुले बरामदे में लगती है। स्कूल को विश्वविद्यालय की ओर से आवंटित भवन में महज पांच कमरे हैं, जिनमें कक्षा छठवीं से नौवीं तक की क्लास लगती है। प्राथमिक कक्षाओं के बच्चे बरामदे में बैठते हैं। बड़ी कक्षाओं का एक साथ पढ़ा पाना संभव नहीं है, इसलिए उनकी कक्षा भीतर कमरों में लगती है।
विश्वविद्यालय गेस्ट हाउस के पास स्थित उस भवन को करीब चार वर्ष पहले शारीरिक शिक्षा विभाग को दे दिया गया, जिसमें स्कूल की कक्षा छठवीं से 10वीं तक की कक्षाएं संचालित होती थीं। भवन को यह दिलासा देकर खाली कराया गया कि नए भवन में उपर हॉल का निर्माण कराया जाएगा, लेकिन अभी तक छात्रों को एक कमरा भी नसीब नहीं हुआ है। प्रस्ताव से संबंधित फाइल विश्वविद्यालय के वित्त विभाग में जा कर अटक गई है।
200 छात्रसंख्या है स्कूल में
5 कमरों का मिला है भवन
5 नियमित शिक्षक हैं नियुक्त
3 अतिथि शिक्षक हैं कार्यरत