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पहली बार रीवा संभाग मंत्री विहीन, मीना को मिली कमान

अगले विस्तार तक करना होगा इंतजार

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रीवा. प्रदेश की शिवराज सरकार ने कैबिनेट में पांच मंत्रियों को शामिल किया है, लेकिन भाजपा की बंपर सीटों के बाद भी रीवा संभाग को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। यह पहला मौका है, जब संभाग मंत्री विहीन होगा। इससे भाजपा कार्यकर्ताओं में मायूसी छा गई है। हालांकि विंध्य की वरिष्ठ विधायक मीना सिंह को मंत्री बनाकर रीवा और शहडोल संभाग का प्रभार सौंपा गया है। जिनकी पहली प्राथमिकता कोरोना मुक्त इस संभाग के रिकॉर्ड को बनाए रखना होगा।यह सभी मानते हैं कि कोरोना के इस दौर में यह सरकार की मजबूरी का मंत्रिमंडल है।

अगले कैबिनेट विस्तार में विंध्य को मिल सकता है मंत्री
अगले विस्तार में रीवा संभाग की भरपाई हो सकती है, लेकिन टॉप ५ में रीवा के शामिल नहीं होने के कई मायने भी निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो शिवराज के तीनों कार्यकाल में मंत्री रह चुके रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल सबसे तगड़े दावेदार रहे हैं। जिले की सभी आठ सीटें भाजपा की झोली में आने और लोकसभा की बड़ी जीत से उम्मीद और भी अधिक बढ़ी थी लेकिन मंत्री बनने की बाजी में महिला और आदिवासी फैक्टर के चलते बिछड़ गए। विंध्य की मानपुर सीट की विधायक मीना सिंह इसी फैक्टर के चलते आगे निकल गईं और वह शिवराज कैबिनेट की टॉप ५ में शामिल हो गईं। उन्हें रीवा और शहडोल संभाग का प्रभार भी दे दिया गया है।

ऐनवक्त पर कटा राजेंद्र शुक्ल का नाम
सूत्रों की माने तो मंत्रिमंडल के गठन की सुगबुगाहट शुरू होते ही राजेंद्र शुक्ल इस रेस में शामिल रहे। इसके संकेत भी मिल रहे थे कि उन्हें इसी बार मौका मिल सकता है, लेकिन सोमवार को समीकरण बदल गए। मंत्रिमंडल की अत्यंत सीमित संख्या और क्षेत्रीय व जातीय समीकरण को बैठाने के चक्कर में ऐनवक्त पर उनका नाम शामिल नहीं हो पाया। पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव भी उन्हीं की तरह समीकरण के चलते पीछे रह गए।

दूसरे दावेदारों पर भी नहीं विचार
विंध्य के दूसरे दावेदारों के नाम पर भी फिलहाल विचार नहीं हो पाया। मंत्री पद पर रहते हुए २०१३ में विधानसभा चुनाव से दूर हुए नागेंद्र सिंह नागौद भी मंत्री पद की लाइन में थे। इनके अलावा चार-चार बार के विधायक नागेंद्र सिंह गुढ़ व गिरीश गौतम देवतालाब अपना संदेश सत्ता से लेकर संगठन तक पहुंचा चुके थे। सीधी से केदारनाथ शुक्ला, कुंवर सिंह टेकाम और सिंगरौली से रामलल्लू वैश्य भी दावेदारी कर रहे थे। इन्हें भी अगले विस्तार तक इंतजार करना पड़ेगा। इन सबके बीच कांग्रेस से बगावत करने वाले बिसाहूलाल सिंह के बाहर होने से दावेदारों को फिलहाल खुश होने का मौका दे दिया है।

एक तिहाई हिस्सा चाहते हैं विधायक
मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में रीवा संभाग के हाथ चाहे भले मायूसी लगी हो पर उम्मीदें बरकरार हैं। भाजपा कार्यकर्ता भी मानते हैं कि जब भी अगला विस्तार होगा, उनकी मुराद पूरी होगी। वहीं, विंध्य के विधायक मंत्रिमंडल में एक तिहाई प्रतिनिधित्व चाहते हैं। इसके पीछे तर्क है विंध्य की 30 में से 25 सीटों पर भाजपा का कब्जा। इस संख्या के हिसाब से कम से कम आठ मंत्री की मांग उठी है। इसके पीछे यह तर्क भी दिया जा रहा है कि पांच विधायक होने के बाद भी कांग्रेस ने एक कैबिनेट मंत्री बनाया था। तो इतनी बड़ी संख्या भाजपा विधायकों के होने के कारण बड़ा हिस्सा मिलना भी चाहिए। यही वजह है कि मंगलवार को जैसे ही मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण हुआ रीवा में सोशल मीडिया पर विपक्षी भी हमदर्दी जताने में पीछे नहीं रहे। लोगों को भरोसा है कि पिछली बार से अधिक संख्या में इस बार विंध्य क्षेत्र से मंत्री बनाए जाएंगे।