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रीवा

वर्षों से पानी के लिए भटक रहे थे लोग, दस रुपए के आवेदन पर ऐसा हुआ कमाल कि आधी रात को हैंडपंप लगाया गया

 
– गंगेव जनपद के नेवरिया गांव में दलित बस्ती के लोग लंबे समय से पानी के लिए थे परेशान- आरटीआई के तहत जानकारी मांगे जाने के बाद हरकत में आया विभाग

रीवाJun 05, 2020 / 09:06 pm

Mrigendra Singh

rewa

Hand pump was excavated on RTI application for ten rupees


रीवा। पानी की समस्या के लिए बस्ती के लोग वर्षों से परेशान थे, नेताओं और अधिकारियों के यहां गुहार लगा रहे थे लेकिन अब तक किसी ने उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन दस रुपए के शुल्क पर सामाजिक कार्यकर्ता ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाया, समय पर जानकारी नहीं मिली तो आयोग में शिकायत की।
आयोग के संज्ञान लेते हुए वर्षों की इच्छा बस्ती के लोगों की पूरी हो गई। पीएचई के अधिकारियों ने रात्रि में पहुंचकर बोरिंग कराया और हैंंडपंप लगवा दिया। यह एक नहीं बल्कि दो स्थानों पर हुआ, जिससे लोगों को बड़ी राहत मिली है।
बताया गया है कि गंगेव जनपद क्षेत्र के नेवरिया गांव में दलित बस्ती के लोग करीब दो किलोमीटर पानी के लिए जाते हैं। सैकड़ों की संख्या में रहने वाले लोगों की परेशानी से कई बार जिम्मेदारों को अवगत कराया गया लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने आरटीआई के तहत आवेदन प्रस्तुत किया और जीने के अधिकार का हवाला देते हुए 48 घंटे के भीतर जानकारी मांगी, विभाग के अधिकारियों ने मनमानी की और समय पर सूचना नहीं दी तो राज्य सूचना आयोग में अपील कर दी। जहां से आयोग की नोटिस जारी होते ही विभाग सक्रिय हुआ और गांव में दो जगह हैंडपंप के लिए बोरिंग करा दी।

– आयोग ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से की सुनवाई
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस मामले में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की। जहां पर पीएचई के अधीक्षण यंत्री एसएल चौधरी, कार्यपालन यंत्री शरद सिंह और आवेदक शिवानंद द्विवेदी शामिल हुए। विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी कि नेवरिया के दलित बस्ती और अमवा के आदिवासी बस्ती में नलकूप स्थापित करा दिया गया है। साथ ही मांगी गई सूचना भी उपलब्ध कराई गई है। पहले आवेदक ने अधिकारियों पर जुर्माना लगाने की मांग की थी लेकिन अधिकारियों ने कहा कि उनकी ओर से दोबारा इस तरह की लापरवाही नहीं की जाएगी। साथ ही समस्या का समाधान भी हो गया, जिसके चलते आवेदक ने भी मामले के निराकरण पर अपनी सहमति जताई।

– समय और रुपए दोनों की बचत हुई, आयोग प्रक्रिया में अपनाएगा
रीवा जिले के इस मामले के चलते कम समय पर मामले की सुनवाई के साथ ही उसका निराकरण भी हो गया। जिसके चलते राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा है कि इससे अधिकारियों को भोपाल तक आने-जाने में समय के साथ ही शासन की ओर से खर्च होने वाले रुपयों की बचत भी होती है। साथ ही कई दिनों तक लंबित रहने वाले मामले का निराकरण भी समय पर हो रहा है। इस कारण अब नियमित सुनवाई के मामलों में भी इसी तरह से वाट्सएप और ईमेल के जरिए नोटिस भेजकर अधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पक्ष जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद हर क्षेत्र में बदलाव नजर आएगा, उसमें से आयोग की सुनवाई का भी तरीका अब बदलेगा।

– दो दिन के भीतर सुलझ गई समस्या
नेवरिया और अमवा के ग्रामीणों में भी प्रसन्नता है। क्योंकि क्षेत्रीय विधायक से लेकर सभी प्रमुख जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके थे। हर जगह आश्वासन मिलता रहा। बीते दो जून को राज्य सूचना आयोग ने पीएचई के अधीक्षण यंत्री और कार्यपालन यंत्री को नोटिस देकर आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना का उत्तर नहीं देने पर जवाब मांगा था। नोटिस मिलने पर कार्यपालन यंत्री ने मौके का निरीक्षण किया और तीन जून को अपना जवाब आयोग को भेज दिया था। अब चार जून को सुनवाई हुुई तो बताया कि दो जगह बोरिंग करा दी गई है।

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