घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि मऊगंज निवासी युवक संजय गुप्ता पेशे से डॉक्टर थे। एमडी की डिग्री हासिल करने के बाद वह भोपाल के पंडित खुशीलाल आयुर्वेदिक कॉलेज से आयुर्वेद चिकित्सा में रिसर्च कर रहे थे। वह भोपाल के चूना भट्टी क्षेत्र स्थित निर्मल कल्पना सोसायटी में डॉ दीपक सोनी के साथ एक ही कमरे में रहते थे। मृत डॉ गुप्ता के रूम पार्टनर डॉ सोनी ने पुलिस को बताया है कि उनकी पोस्टिंग सतपुड़ा भवन में है। बुधवार सुबह करीब 10.30 बजे वह ड्यूटी पर चले गए। कमरे में अकेले डॉ गुप्ता थे। शाम करीब सात बजे वह ड्यूटी से लौटे तो दरवाजा अंदर से बंद मिला। काफी देर तक खटखटाने और आवाज देने के बाद भी न कोई जवाब मिला, न ही दरवाजा खुला तो उन्होंने डॉ गुप्ता के मोबाइल पर कॉल किया, लेकिन कॉल रिसीव नही हुई। इस पर उन्हें संदेह हुआ तो उन्होंने खिड़की की कांच तोड़कर अंदर झांका तो पाया कि डॉ गुप्ता फांसी पर लटके मिले। ऐसे में उन्होंने फौरन पुलिस को घटना की जानकारी दी। पुलिस मौके पर पहुंची और दरवाजा तोड़ कर अंदर पहुंची और डॉ गुप्ता को नीचे उतारा। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी, डॉ गुप्त दम तोड़ चुके थे।
पुलिस को कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें लिखा है, “मैं अपने जीवन को बैलेंस नहीं कर पा रहा हूं। मम्मी मुझे माफ करना, सॉरी-सॉरी..। मौत की जवाबदारी मेरी है और किसी की नहीं है। मैं अपनी मां को बहुत मिस कर रहा हूं।” ऐसी स्थित में पुलिस इसे सुसाइड मान रही है। लेकिन संदेह का कारण डॉ गुप्ता के मुख पर पट्टी और पैरों में रस्सी बंधा होना है।
इस मामले में पुलिस का कहना है कि 2016 में डॉ गुप्ता की शादी हुई थी। लेकिन महीने भर बाद ही पत्नी उन्हें छोड़ कर चली गई। पुलिस के अनुसार इसके करीब आठ महीने बाद डॉ गुप्ता की मां का निधन हो गया। फिर 2019 में उनका पत्नी से तलाक भी हो गया। डॉ गुप्ता के पिता वन विभाग में कार्यरत रहे। वह रीवा के मऊगंज में ही रहते हैं। मां के निधन और पत्नी के से तलाक के चलते वह काफी तनाव में रहने लगे थें।