scriptरीवा के कारीगर ने बना दी लकड़ी की बाइक, प्रधानमंत्री मोदी को भेंट कर लूटी वाहवाही | Rewa's artisan made lumber bike, appreciated by Prime Minister | Patrika News
रीवा

रीवा के कारीगर ने बना दी लकड़ी की बाइक, प्रधानमंत्री मोदी को भेंट कर लूटी वाहवाही

जबलपुर में सीखा हुनर, रीवा में हासिल किया मुकाम

रीवाApr 20, 2018 / 06:42 pm

Balmukund Dwivedi

lumber bike

Rewa’s artisan made lumber bike, appreciated by Prime Minister

रीवा. रीवा के एक कारीगर ने अपने हुनर से रीवा को दिल्ली में पहचान दिलाई है। उन्होंने अपनी कला से लकड़ी की बाइक बनाकर सभी को अचंभित कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लकड़ी की बाइक भेंटकर वाहावाही लूटी।
दिल्ली तक मनवाया कला का लोहा
रीवा जिले के लालगांव क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम रोझौही निवासी कलाकार बुद्धसेन विश्वकर्मा शहर से लगे बैकुण्ठपुर कस्बे में अपनी छोटी खरादी की दुकान चलाते हैं। लेकिन उन्होंने अपनी कला का लोहा दिल्ली तक मनवाया है। बुद्धसेन बताते हैं कि उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता था और चौथी के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी। इसके बाद उन्होंने चौदह वर्ष की आयु से लकड़ी के सामान बनाने काम शुरू किया।
जबलपुर में सीखा काष्ठ कलाकारी
लकड़ी से विभिन्न बस्तुएं एवं खिलौने बानने का काम उन्होंने जबलपुर में सीखा था। जबलपुर में उस समय बनारस के कारीगरों के साथ काम करते थे जो छोटी सी गलती पर उनको बहुत डांटते थे। उनकी डांट का असर ही था कि उन्होंने काम सीख लिया। जबलपुर में करीब बीस साल तक काम किया।उसके बाद वे रीवा आ गये और यहां पर मजदूरी का काम शुरू किया।
बेटे ने इंटरनेट में दिखाई बाइक की फोटो
उनको लकड़ी की बाइक बनाने की प्रेरणा उस समय मिली जब उनके पुत्र सूरज ने इंटरनेट पर उनकों आधुनिक बाइक की फोटो दिखाई। इसके बाद बुद्धसेन ने जो भी लकड़ी के टुकड़े बचते थे उनको जोड़ कर तीन माह में बाइक को तैयार कर डाला जो हुबहू रेसिंग बाइक की तरह दिखती है।
2017 में पीएम को भेंट की बाइक
इसके बाद उनकी पुत्री ने यह बाइक प्रधानमंत्री के भेंट करने के लिए प्रेरित किया।उन्होंने दिसम्बर 2017 में दिल्ली जाकर यह बाइक प्रधानमंत्री को भेंट की। उनकी कला की प्रधानमंत्री ने जमकर प्रशंसा की। इसके पूर्व उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह व दिग्विजय सिंह को भी लकड़ी का हल जोतता हुआ किसान व लकड़ी का मंदिर भेंट किया था।
खुद नहीं पढ़ पाये लेकिन बच्चों को दिलाई अच्छी तालीम
बुद्धसेन विश्वकर्मा खुद तो नहीं पढ़ पाये। पढ़ाई में मन नहीं लगने के कारण बचपन में ही काम करने लगे। लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को अच्छी तालीम दिलाई। उनका पुत्र एमसीए तक की पढ़ाई किया है और पुत्री भी अध्ययनतरत है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो