रीवा

आरटीओ ने वाहनों को पकड़ा, पुलिस ने छोड़ दिया

जिले में खनिज, आरटीओ और पुलिस की नूराकुश्ती में सरकार के खजाने को लग रही चपत, कलेक्टर और एसपी से शिकायत

रीवाJun 19, 2019 / 12:40 pm

Rajesh Patel

RTO caught the vehicles, the police left

रीवा. जिले में खनिज, आरटीओ और पुलिस अमले की नूराकुश्ती में सरकार के खजाने को लाखों का झटका लग रहा है। जी हां, कुछ ऐसा ही मामला जिले के आला अफसरों की टेबल पर पहुंचा है। दो दिन पहले जिला खनिज अधिकारी की फौज ने सीमावर्ती क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक वाहनों को पकड़ कर क्षेत्रीय पुलिस को सौंप दिया, लेकिन, जुर्माना की कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी कि पुलिस ने खनिज माफिया के दबाव में आकर वाहनों को छोड़ दिया। मामले में ट्रक एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कलेक्टर-एसपी को आवेदन देकर जांच कराए जाने की मांग उठाई है।
खनिज, आरटीओ और पुलिस के गठजोड़ से ओवरलोड वाहनों का संचालन
जिले में खनिज, आरटीओ और पुलिस के गठजोड़ से ओवरलोड वाहनों का संचालन हो रहा है। प्रतिबंध के बावजूद अफसरों की जुगलबंदी के चलते वाहन बेखौफ ओवरलोड परिवहन कर रहे हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि आरटीओ और खनिज विभाग की ओर से आधा दर्जन से अधिक ओवरलोड परिवहन कर रहे ट्रकों को पकड़ कर चाकघाट पुलिस को सौंप दिया गया। खनिज और आरटीओ विभाग कार्रवाई के लिए कागजी प्रक्रिया में जुट गए, उधर, चाकघाट पुलिस एसडीओपी के दबाव में आकर पकड़े गए वाहनों को छोड़ दिया। मामले को लेकर ट्रक एसोसिएशन ने कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव और पुलिस अधीक्षक आविद खान को आवेदन देकर कार्रवाई कीर मांग की है।
उत्तर प्रदेश की सीमा में चले गए ट्रक
ओरवलोड ट्रको की ओरवलोडिंग बंद करवाने दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आला अफसरों को आवेदन दिया है। आवेदन के अनुसार परिवहन विभाग के आरटीआई विभाग के आशुतोष ङ्क्षसह के द्वारा चार वाहनों के खिलाफ कार्रवाई कर चाकघाट पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया। लेकिन, आरटीओ को लौटते ही पुलिस ने वाहनों को उत्तर प्रदेश की सीमा की ओर छोड़ दिया गया।
इन्होंने सौंपा ज्ञापन
चाकघाट-मनगवां मार्ग पर चल रहे ओवरलोड वाहनों को पकडऩे के बाद छोड़ दिए जाने पर ट्रक एसोसिएशन के पदाधिकारी अशोक गुप्ता, सब्बू केशरवानी, सुरेश चंद्र केशरवानी, ज्ञानेन्द्र मिश्र आदि ने कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग उठाई है।
हर माह लाखों की चपत
अधिकारियों की अनदेखी के चलते हर माह सरकार के खजाने को लाखों की चपत लग रही है। सूचना के बावजूद विभागीय अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
 
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