बताया गया है कि तमरादेश के नजदीक अमवा गांव के रहने वाले महेश सिंह एवं उनका परिवार बाबा के अनुयायी रहे हैं। 18 नवंबर 2014 को परिवार के पांच सदस्यों के साथ वह सतलोक आश्रम गए थे, इसी बीच पुलिस ने आश्रम को घेर लिया। जिसके चलते दोनों तरफ से पत्थरबाजी और झड़प भी हुई। दूसरे दिन 19 नवंबर को पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े जिसके बाद भगदड़ मची और छह की मौतें भी हो गई।
घटना के चस्मदीद देवेन्द्र सिंह ने बताया कि उन्हें पता नहीं था कि किस वजह से बवाल हो रहा है। आश्रम जाते समय पुलिस रास्ते में मिली थी लेकिन इसकी जानकारी नहीं थी कि वह किस वजह से खड़ी है। पहुंचने के कुछ घंटे बाद ही पुलिस हरकत में आई उसका कारण पता चला।
देवेन्द्र नेे कहा कि पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े थे जिसकी वजह से वहां मौजूद लोगों के आंखों में जलन शुरू हो गई थी और श्वांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इसी बीच उनके भतीजे विपिन सिंह का दो वर्षीय पुत्र धैर्य भी आंसू गैस की वजह से अचेत होने लगा। जिसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसे चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।
देवेन्द्र का कहना है कि बाबा को कोर्ट ने सजा सुनाई है, इसकी जानकारी होने के बाद दुख हुआ है। क्यों कि बच्चे और वहां पर मौजूद लोगों की मौत का कारण पुलिस की कार्रवाई थी। उन्होंने बताया कि वे स्वयं और उनके पिता महेश सिंह एवं भतीजा विपिन कोर्ट में जाकर यह बयान दर्ज कराए थे कि बच्चे की मौत का कारण वह पुलिस को मानते हैं।