पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के दस्तावेजों के आधार पर मुख्यमंत्री से शिकायत की गई है। साथ ही इसी तरह के मामले प्रदेश के अन्य जिलों में होनें की आशंका जाहिर की गई है। शिकायत बाद जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष शिव सिंह, अपना दल के अध्यक्ष मास्टर बुद्धसेन पटेल एवं अधिवक्ता पुष्पेन्द्र सिंह आदि ने पे्रसकांफ्रेंस कर मामले का खुलासा करते हुए कहा कि करोड़ों रुपए हर जिले में खर्च हुए लेकिन इसके लिए कोई अलग से नोडल अधिकारी नियुक्त नहीं किया गया।
क्षेत्रीय कार्यपालन यंत्रियों को ही जिम्मेदारी सौंप दी गई। योजना के तहत उपयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता बहुत ही खराब है। कहा गया है कि इस पूरे मामले में सत्ता पाने से पहले कांग्रेस के लोग भी शोरशराबा मचाते थे लेकिन अब करीब नौ महीने सरकार बनने के बाद भी किसी तरह की जांच नहीं की गई है। कुछ मैदानी अधिकारियों ने बेहतर काम करने का प्रयास किया तो उनकी अदला-बदली की जाती रही। इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए और प्रदेश के सभी जिलों में हुए कार्यों की जांच कराई जाए।
– इनाम के लिए समय पहले ही पूरा बता दिया टारगेट
बिजली कंपनी के अधिकारियों पर आरोप है कि सरकार से इनाम लेने के लिए समय से पहले ही टारगेट पूरा करने का दावा कर दिया। 31 मार्च 2019 तक कार्य पूरा करने के लिए समय दिया गया था लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले 31 अक्टूबर 2018 का टारगेट अधिकारियों ने बनाया और कार्य पूरा किए जाने का दावा कर दिया। इसके लिए विभाग की ओर से प्रशस्ति पत्र भी दिए गए। साथ ही चीफ इंजीनियर को एक लाख रुपए, अधीक्षण यंत्री को 50 हजार एवं अन्य अधिकारियों को 25-25 हजार रुपए का इनाम भी दिया गया। आरोप है कि जल्दवाजी में गुणवत्ता की अनदेखी की गई है।
– सवा तीन सौ करोड़ रुपए हुए थे स्वीकृत
पूर्व में विद्युतीकरण से जो क्षेत्र और मकान छूट गए थे, उन सबमें विद्युतीकरण करने के लिए रीवा संभाग को करीब सवा तीन सौ करोड़ रुपए मिले थे। जिसमें रीवा को 58.02 करोड़, सतना को 47.83 करोड़, सीधी को 111.65 करोड़ एवं सिंगरौली को 104 करोड़ रुपए दिए गए थे। इसमें से बड़ी रकम खर्च किए जाने का दावा बिजली कंपनी ने किया है। आरोप है कि मनमानी हुई है, मौके का परीक्षण किया जाए।