School students of MP do not know the names of the father
रीवा. सत्कार भत्ता लेने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी गांव की स्कूलों का कभी निरीक्षण नहीं करते। विद्यालयों का निरीक्षण कागजों में करके खानापूर्ति की जा रही हैं। इसका परिणाम यह है कि शासकीय विद्यालयों में न तो शिक्षक पहुंचते हैं न ही छात्र। इतना ही नहीं छात्र अपने पिता का नाम भी लिखना नहीं जानते। यही कारण है कि मप्र में अधिकांश शासकीय विद्यालय छात्र संख्या के अभाव में तोड़ दिए गए हैं।
जनपद पंचायत हनुमना अंतर्गत गांव नरौरा के प्राथमिक विद्यालय का भी यही हाल है। विद्यालय में पदस्थ प्रधानाध्यापक सुरेश प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि यहां कभी कोई अधिकारी जांच करने आज तक नहीं आए जबकि वे यहां 14 वर्ष से पदस्थ हैं। विश्वकर्मा ने कहा कि पूर्व माध्यमिक विद्यालय में दो शिक्षिकाएं पदस्थ हैं। वे एक-दो घंटे के लिए ही विद्यालय आती हैं। उनकी पठन-पाठन से कोई रुचि नहीं है।
students of MP do not know the names of the father” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/08/30/rw3001_3332976-m.jpg”>patrika IMAGE CREDIT: patrikaविद्यालय में एक से पांच तक कुल 16 छात्र हैं जिसमें 10 उपस्थित थे। इसी तरह पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कुल 28 छात्र हैं, जिसमें 12 छात्र ही उपस्थित थे। प्राथमिक में सहायक शिक्षक कुश कुमार वर्मा ने बताया कि विद्यालय में जो कुल संख्या छात्र है उसके आधे छात्र ही विद्यालय आते हैं, लेकिन मध्यान्ह भोजन बनाने वाली समिति सभी छात्रों के नाम से खाद्यान्न निकाल रही है।
इसलिए एक जगह पर बैठाते हैं छात्र पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ शिक्षक निशा पाठक से इस संबंध में जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि आज प्रभारी प्रधानाध्यापक निमिषा विश्वकर्मा नहीं आई है। इसीलिए सभी छात्रों को एक जगह बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। इस संबंध में नरौरा के जनप्रतिनिधि श्याम सुंदर ने बताया कि कभी कोई अधिकारी विद्यालय की जांच करने नहीं आते, इसीलिए यह लापरवाही चल रही है।
पिता का नाम लिखना नहीं जानते छात्र विद्यालय के छात्रों से उनके पिता का नाम लिखने को जब कहा गया तो छात्र, शिक्षक की ओर देखने लगे। यहां तक की विद्यालय के छात्रों को यह तक पता नहीं है कि विद्यालय में घंटी बजती है कि नहीं। पीरियड लगना तो दूर की बात है इस विद्यालय में प्रार्थना तक नहीं करवाई जाती है।
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