ज्यादातर श्रद्धालु उपवास रखकर मां की पूजा – अर्चना कर रहे हैं। खासकर महिलाएं विधिवत व्रत रखकर मां की पूजा कर रही हैं। नवरात्रों में देवी की नवधा भक्ति का विधान है। नवरात्र के 9 दिनों में नौ देवियों के पूजन की परंपरा है। नवरात्र के पहले दिन देवी के भक्तों ने शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करने के साथ ही मां शैलपुत्री की पूजा के साथ ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा की। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रुप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा।
आज होगा चंद्रघंटा का पूजन
दूसरे दिन चंद्रघंटा देवी का पूजन किया जाएगा। मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं चंद्रघंटा। नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा – आराधना की जाती है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इस देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है। इसीलिए इस देवी को चंद्रघंटा कहा गया है। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है।
नवरात्रि पर अर्पित करें देवी को नैवेद्य
ज्योतिर्विद राजेश साहनी ने बताया कि देवी पुराण की मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा पर चढ़ाने वाले नैवेद्य विशेष होते हैं। उनसे प्राप्त होने वाले लाभ भी विशिष्ट होता है। नवरात्रि के प्रथम दिन अर्थात प्रतिपदा को देवी को गाय का घी अर्पित करें। इससे आरोग्य लाभ होता है। नवरात्रि की द्वितीया तिथि को देवी को शक्कर का नैवेद्य लगाएं तथा उसे किसी ब्राह्मण को दान कर दें। यह दान दीर्घायु कारक माना गया है।
इस प्रकार करें पूजा
नवरात्रि की तृतीय तिथि को देवी को गोदुग्ध अर्पित करें तथा बाद में उसे ब्राह्मणों को दान कर दें। दूध के दान से दुखों से मुक्ति प्राप्त होती है। नवरात्र की चतुर्थी तिथि को देवी को प्रसन्नता पूर्वक मालापुआ का नैवेद्य अर्पित करें। बाद में इसे ब्राह्मणों एवं बच्चों में वितरित कर दें। इससे आपकी निर्णय शक्ति का विकास होगा तथा बौद्धिक विस्तार भी। नवरात्रि की पंचमी तिथि को देवी को केले का नैवेद्य चढ़ाएं। नवरात्र की छठी तिथि को देवी पर मधु का नैवेद्य अर्पित करें। इससे आकर्षण एवं सौंदर्य में वृद्धि होती है।