भ्रष्टाचार के मामले में कपड़े और जूते त्यागने का मुद्रिका प्रसाद का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले २ अक्टूबर २००४ को भी उन्होंने विभाग के भ्रष्टाचार पर कार्रवाई नहीं होने पर ऊपरी कपड़े और जूते नहीं पहनने का संकल्प लिया था। लगातार १२ वर्षों तक नंगे पॉव और तौलिया लपेटकर ही वह शिक्षण एवं अन्य कार्य करते रहे। इस बार फिर उसी तरह का निर्णय लेकर सुर्खियों में आ गए हैं।
जिस मांग को लेकर अनशन किया जा रहा था, उसे सायं पूरा भी कर लिया गया है। जैसे ही सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हुई कि भ्रष्टाचार के विरोध में शिक्षक ने वस्त्र त्याग दिए हैं, कुछ ही देर के बाद संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ने सहायक ग्रेड तीन वीरेन्द्र सिंह का निलंबन करते हुए सिरमौर के विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अटैच कर दिया। बताया गया है कि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा उक्त कार्रवाई के लिए प्रस्ताव ६ फरवरी को ही भेज दिया गया था लेकिन जेडी कार्यालय में फाइल दबी रही।