त्योंथर के वार्ड क्रमांक २ में रहने वाले राजकुमार बंसल के घर सोमवार को मतदान के दिन ही विपदा आई। उसकी बड़ी मां का निधन हो गया। पूरा परिवार शोक में डूबा था। सामाजिक मान्यता है कि अंतिम संस्कार करने के बाद दस दिन तक व्यक्ति किसी दूसरी जगह नहीं जाता और न ही किसी को छूता है। राजकुमार ने तय किया कि वह मतदान कर मृत आत्मा को शांति के लिए प्रार्थना करेगा। इसके बाद वह वोटिंग करने पहुंचा और लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव में अपनी सहभागिता निभाई। राजकुमार का कहना है कि पांच वर्ष के लिए अपना भविष्य चुनना होता है इसलिए मतदान भी जरूरी होता है, इसी वजह से हमने भी मतदान किया है।
शहर के पाण्डेन टोला में स्थित मतदान केन्द्र क्रमांक 180 में एक दिव्यांग दंपत्ति पहुंचा। दोनों शारीरिक रूप से नि:शक्त हैं, इसलिए स्वयं नहीं चल सकते। विश्वनाथ नामदेव भी स्वयं नहीं चल सकता लेकिन मतदान के लिए आना था तो पत्नी को ट्राइसिकिल में बैठाकर ढोंसते हुए मतदान केन्द्र तक पहुंचा। पत्नी मोना के साथ वोट डाला। प्रशासन ने दावा किया था कि इस बार दिव्यांगों और गर्भवती महिलाओं को पोलिंग बूथ तक लाने की वाहन व्यवस्था दी जाएगी, यहां ऐसा नहीं दिखा।
पिता विकालंग बेटी को कंधे पर लेकर मतदान केन्द्र पर पहुंचा। जहां उसने मतदान किया। मऊगंज के आदर्श मतदान केन्द्र 157 में बचपन से ही विकलांग प्रीति सोंधिया (26) को उनके पिता संतोष कुमार कंधे पर लेकर मतदान केन्द्र पहुंचे और उन्होंने बेटी को मतदान कराया। वहीं गुढ़ विधानसभा क्षेत्र में 18 वर्षीय वृद्धा संगीता पीडि़हा को साइकिल पर बैठाकर उनके परिजन मतदान केन्द्र २०५ गुढ़ ले गए और मतदान कराया।
मतदान का उत्साह इस कदर रहा कि त्योंथर विधानसभा के जमुई में 90 साल की वृद्ध महिला को मतदान के लिए लिए अपनी गोद में उठाकर उसका नाती ले गया। वृद्ध महिला अपना वोट खुद नहीं दे सकती थी जिससे उसने नाती से ही वोट डलवाया। इसके बाद वह सकुशल दादी को घर पहुंचाया।
मतदान केन्द्र मऊगंज में एक पुत्र अपने माता-पिता काशी प्रसाद विश्वकर्मा 92 एवं उनकी पत्नी 90 वर्ष को ठेलिया में लेकर मतदान केन्द्र पर पहुंच गया। बताया गया है कि वृद्ध माता-पिता चल नही सकते थे जिससे पुत्र ने उनको ठेलिया में बिठाया और उनकों लाकर मतदान कराया। पुत्र ने बताया कि उनके माता-पिता ने मतदान की इच्छा व्यक्त की थी, जिसे उसने पूरा किया।