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वार्ड बॉय पर सालाना होता है १ करोड़ ४४ लाख खर्च, फिर भी परिजनों को धकेलने पड़ रहे स्ट्रेचर

-बीएमसी अस्पताल में हर रोज मरीज के परिजन हो रहे परेशान, गेट पर स्ट्रेचर न मिलने पर गोद में लेकर ओपीडी पहुंचते हैं परिजन।

सागरFeb 12, 2020 / 09:45 pm

आकाश तिवारी

वार्ड बॉय पर सालाना होता है १ करोड़ ४४ लाख खर्च, फिर भी परिजनों को धकेलने पड़ रहे स्ट्रेचर

वार्ड बॉय पर सालाना होता है १ करोड़ ४४ लाख खर्च, फिर भी परिजनों को धकेलने पड़ रहे स्ट्रेचर

सागर. मेडिकल कॉलेज में गंभीर हालत में उपचार कराने पहुंच रहे मरीजों को स्ट्रेचर धकेलने के लिए वार्ड बॉय नहीं मिल रहे हैं। परिजनों को वार्ड बॉय की भूमिका निभानी पड़ रही है। खासबात यह है कि बीएमसी में १०० वार्ड बॉय तैनात हैं और इन पर बीएमसी प्रबंधन सालाना १ करोड़ ४४ लाख रुपए की भारी भरकम राशि खर्च कर रहा है। बावजूद इसके इनमें से एक भी स्ट्रेचर धकेलता हुआ नजर नहीं आता है। मेन गेट हो या फिर कैज्युअल्टी वाले गेट से एम्बुलेंस से आने वाले मरीज हों। उन्हें पहले तो स्ट्रेचर खोजना पड़ता है फिर वार्ड बॉय न मिलने पर खुद ही मरीज या घायल को लेटाकर कैज्युअल्टी ले जाना पड़ता है। बता दें कि मेन गेट पर एक और कैज्युअल्टी में ४ वार्ड बॉय तीन शिफ्ट में लगाए गए हैं, लेकिन यह मरीजों व घायलों को रिसीव नहीं करते। इस वजह से परिजनों स्ट्रेचर धकेलना पड़ता है। यह स्थिति शुरू से ही बनी हुई है। बीएमसी प्रबंधन अभी तक इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठा पाया है। कई एेसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें स्ट्रेचर धकेलते वक्त स्ट्रेचर पलट गया था। इस वजह से मरीजों को चोटें भी आई हैं।
-२० फीसदी का नहीं कर रहे सही उपयोग
अधीक्षक कार्यालय से लगाई गई वार्ड बॉय की तैनाती में २० फीसदी वार्ड बॉय एेसी जगह लगाए गए हैं, जहां उनकी कोई जरूरत नहीं। एक्सरे वार्ड में तीन शिफ्टों में ४ वार्ड बॉय लगाए गए हैं। इनसे भीड़ को नियंत्रित कराया जा रहा है। जबकि यह काम सुरक्षाकर्मियों का है। वहीं, कई विभागों में यह वार्ड बॉय फाइलिंग का काम कर रहे हैं।
-गोद में ले जाने मजबूर
अस्पताल में स्ट्रेचर की बात करें तो २७ वार्डों में एक-एक स्ट्रेचर है। कैज्युल्टी में इनकी संख्या ४ है। मेनगेट पर एक स्ट्रेचर की व्यवस्था की गई है। ग्राउंड फ्लोर पर मात्र ५ स्ट्रेचर होने से कई बार मरीजों को ले जाने के लिए स्ट्रेचर नहीं मिलते हैं और परिजनों को गोद में उठाकर मरीज को ओपीडी तक ले जाना पड़ता है। औसतन १०० से ज्यादा मरीज प्रतिदिन इसी हालत में बीएमसी पहुंच रहे हैं।

मरीजों को अटेंड करने के लिए वार्ड बॉय गेट पर तैनात किए हैं। हालांकि मरीजों की संख्या बढऩे के कारण मेनपावर बढ़ाने की जरूरत है।
डॉ. एसके पिप्पल, अधीक्षक बीएमसी

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