मौसम की मार के कारण फसलों पर पड़ा विपरीत प्रभाव
सागर•Sep 22, 2020 / 09:36 pm•
sachendra tiwari
A bag of soybeans grown on two acres
बीना. उड़द की फसल पहले ही पीला मौजिक लगने के कारण खराब हो चुकी है और किसानों को सोयाबीन की फसल से उम्मीद थी, लेकिन उसमें लागत तक नहीं निकल पा रही है। खरीफ फसल के खराब होने से किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
फसल अच्छी हो इसके लिए किसानों ने महंगा बीज खरीदकार बोवनी की थी और उसमें कीटनाशक दवाओं का छिड़काव भी किया, लेकिन जब फसल कटाई की गई तो उम्मीदों पर पानी फिर गया। क्योंकि इसमें लागत भी नहीं निकल पा रही है। पहले हुई तेज बारिश से किसानों की बोवनी खराब हो गई थी, जिससे अधिकांश किसानों को दूसरी बार बोवनी करनी पड़ी और फिर अतिवृष्टि, कीटों के कारण फसलों को हानि पहुंची। उड़द की फसल पीला मौजिक से खराब हो गई, जिससे उत्पादन बहुत कम हुआ, जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकली।
फसल कटवाना पड़ रहा महंगा
ग्राम बिहरना के किसान कोमल पाल ने बताया कि उन्होंने दो एकड़ में सोयाबीन की बोवनी की थी, जिसमें पांच हजार रुपए का एक क्ंिवटल बीज बोया था। इसके बाद तीन हजार रुपए की दवाओं का छिड़काव किया और हार्वेस्टिंग कराने के दो हजार रुपए लगे। दो एकड़ खेत में सिर्फ एक बोरा सोयाबीन निकला है, जिससे फसल की कटाई कराना महंगी पड़ रही है।
फसल में फलियां आईं बहुत कम
किसान गौरीशंकर ने बताया कि दो एकड़ में दो क्ंिवटल सोयाबीन निकला है। मौसम की मार के कारण फसल में अच्छी फलियां नहीं आने से उत्पादन कम हुआ है। यदि मौसम की मार नहीं पड़ती तो उत्पादन बहुत अच्छा होता। कुछ फसल तो ऐसी है, जिसमें फलियां ही नहीं आई हैं।
40 हजार हेक्टेयर में बोया था सोयाबीन
किसानों ने इस वर्ष 40 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी की थी। उड़द की फसल पिछले वर्षों में खराब हो जाने के कारण उड़द का रकबा बहुत कम था। अन्य फसलों की बोवनी किसान बहुत कम मात्रा में करते हैं। मुख्य रूप से सोयाबीन, उड़द की बोवनी की जाती है।
रबी सीजन की बोवनी करने में होगी परेशानी
खरीफ फसल अच्छी नहीं होने के कारण अब किसानों रबी सीजन की बोवनी करने में परेशानी होगी और किसानों को अब कर्जा लेकर बोवनी करनी होगी। यदि खरीफ फसल की पैदावार अच्छी होती तो इसे बाजार में बेचकर किसान बीज, डीजल, खाद खरीद सकते थे।
की जा रही है फसल कटाई
फसल कटाई प्रयोग से उत्पादन कैसा है इसकी रिपोर्ट तैयार होगी। राजस्व और कृषि विभाग द्वारा अलग-अलग खेतों में जाकर फसल कटाई प्रयोग कराया जा रहा है। कुछ हिस्से की फसल काटकर सुखाई जा रही है और इसके बाद इसमें निकलने वाले दानों से उत्पादन का पता लगाया जाएगा।