आचार्यश्री के दर्शन और एक झलक पाने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु रोजाना भाग्योदय तीर्थ पहुंच रहे हैं। इनके संघ ३०० पिच्छीधारी साधु व साधवी, ३०० ब्रह्मचारी भाई और ५०० ब्रह्मचारिणी बहनें हैं। ७३ साल की उम्र में भी इनके हंसमुख चेहरे के साथ जब लोगों के लिए दर्शन होते हैं तो जयजय गुरुदेव के जयकारे लगाते हैं। इस उम्र में इनकी त्याग तपस्या जानकर लोग आश्चर्य में रह जाते हैं।
जीवन परिचय पर एक नजर
नाम- विद्याधर
जन्म-१० अक्टूबर १९४६ शरद-पूनम की मध्यरात्री ११.३० बजे
जन्म स्थान- बेलगांव के ग्राम सदलगा में ( कर्नाटक)
पिता- मलप्पा अष्टगे (समाधिस्थ मल्लिसागर )
माता- श्रीमंति अष्टगे (समाधिस्थ आर्यिका समयमति)
ब्रम्हार्च व्रत- १९६७ में आचार्य श्री देश भूषण जी से मुनि
दीक्षा- ३० जून १९६८ आचार्य श्री ज्ञान सागर जी से अजमेर
आचार्य पद -२२ नवम्बर १९७२ नसीराबाद (राजस्थान)
ंशिक्षा- हाई स्कूल (कन्नड़)
आचार्यश्री का त्याग
वर्ष १९७१ से – मीठा व नमक का त्याग
वर्ष १९७६ से – रस, फल, मेवा का त्याग
वर्ष १९८३ से – पूर्ण थूकना बंद
वर्ष १९८५ से – चटाई पर सोना त्याग
वर्ष १९९०से – नौ दिन तक का निर्जल उपवास
वर्ष १९९२ से- दिन में सोना आजीवन त्याग
दीक्षा से – रात्रि में मौन व्रत