यह है एरण का इतिहास
एरण पुरा स्थल भारत की सांस्कृति धरोहर को समझने के लिए महत्वपूर्ण पुरा स्थल है। हड़प्पा संस्कृति की समकालीन ताम्रपाषाण कालीन संस्कृति यहां से मिली है। पाषाण काल से ऐतिहासिक काल तक के क्रमवद्ध कालखंड के प्रमाण मिलते हैं, जिसमें मुख्य रूप से मौर्य कालीन, सुंग कालीन, नागवंश पुरा अवशेष एवं गुप्त वंश के मंदिर, मूर्तियों की जानकारी मिलती है। यहां से गुप्त काल, चंदेल काल, गुर्जर प्रतिहार काल, परमार काल, मुगल काल, मराठा काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहां गुप्तकालीन मंदिर भारत के प्राचीनतम मंदिरों में गिने जाते हैं। वराह की प्रतिमा भारत की सर्वाधिक ऊंचाई की प्रतिमा है, जो विश्व की सबसे अद्वितीय और प्राचीनतम हैं। भगवान विष्णु की करीब 14 फीट ऊंची प्रतिमा भारत में गुप्तकाल में बनी एक मात्र प्रतिमा है। बुद्ध गुप्त के समय बना 47 फीट ऊंचा गरुण स्तंभ में अशोक के स्तंभ की निरंतरता देखने में मिलती है। यहां सक शासक श्रीधर वर्मा का अभिलेख, समुद्रगुप्त का अभिलेख, बुद्ध गुप्त का अभिलेख, भानुगुप्त का अभिलेख और पूर्व मध्यम कालीन अनेक सती स्तंभ लेख प्राप्त हुए हैं, जो भारतीय इतिहास की दृष्टि से अत्यंत महत्पूर्ण हैं।