दरअसल 2017-2018 में अतिथि शिक्षकों की ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया की जानी थी, लेकिन विरोध में प्रदेशभर से लगभग 2500 अतिथि शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसके बाद कोर्ट पूरी प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया था। सितंबर में कोर्ट ने अतिथियों की याचिका खारिज करते हुए कहा कि मेरिट सूची के आधार पर अतिथियों को रखा जाएगा। आचार संहिता के वजह से नियुक्ति नहीं हुई। ऐसे में कोर्ट के स्थगन के बाद भी स्कूलों में वर्षों से काम कर रहे अतिथि शिक्षक जमे हुए थे। इसका खुलासा पत्रिका द्वारा किया गया। पत्रिका ने खुलासा किया कि शिक्षा विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर भले ही पद रिक्त हैं, लेकिन स्कूल में प्राचार्य अपने चहेतों से उन पदों पर काम करा रहे हैं और लगातार वेतन भी दिया जा रहा है। इस खुलासे के बाद प्रदेशभर में फर्जीवाड़ा सामने आया और शुक्रवार को डीपीआई ने आदेश जारी कर अतिथियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब पुन: पारदर्शिता के साथ ऑनलाइन प्रक्रिया से अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी।
700 अभ्यर्थियों को फिर मिलेगा मौका
फर्जीवाड़े की वजह से उन अतिथियों को लाभ नहीं मिल पाया था जो वास्तव में पात्र थे। 700 पदों पर पुन: भर्ती होने के बाद फिर ऑनलाइन प्रक्रिया डीपीआइ द्वारा जल्द शुरू हो जाएगी। ऐसे में पात्र शिक्षकों को लाभ मिलेगा।
छह को होगी बैठक
अतिथि शिक्षक कांग्रेस मप्र की महत्वपूर्ण बैठक स्टेट कोऑर्डिनेटर आशीष जैन के नेतृत्व में रविवार को तुलसी नगर भोपाल में होगी। मध्यप्रदेश इकाई के स्टेट कोऑर्डिनेटर आशीष जैन ने बताया कि समस्त प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व समस्त 52 जिला अध्यक्ष दिनांक 6 जनवरी को महत्वपूर्ण बैठक मे आवश्यक रूप से सम्मिलित रहेंगे। अतिथि शिक्षकों का मुद्दा कांग्रेस के वचनपत्र में शामिल है। कांग्रेस ने संकल्प लिया है कि वचनपत्र के एक-एक बिंदु को समय सीमा निर्धारित करके पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि अतिथि शिक्षको के सहयोग से मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी है, इसलिए सभी अतिथि शिक्षकों को गुरुजी की तर्ज पर नियमित किए जाने की प्रक्रिया तीन माह के अंदर की जाएगी।