scriptमरीज के हित में किया था डी-मर्जर, पर इलाज अब भी दूर | BMC Merger Trama Unit Small Clinic Patients Disturb | Patrika News
सागर

मरीज के हित में किया था डी-मर्जर, पर इलाज अब भी दूर

डी-मर्जर को 42 दिन बीते, व्यवस्था अब भी बेपटरी

सागरJul 13, 2018 / 04:01 pm

manish Dubesy

BMC Merger Trama Unit Small Clinic Patients Disturb

BMC Merger Trama Unit Small Clinic Patients Disturb

सागर. जिला अस्पताल व बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज को अलग हुए 42 दिन बीत चुके हैं लेकिन अब भी व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आई हैं। जिला अस्पताल में मेडिसिन आइसीयू और बर्न वार्ड तो शुरू हुए ही नहीं हैं, ट्रामा यूनिट भी अधर में है। परिणाम स्वरूप मरीजों के जख्म पर रेफर का मरहम लगाया जा रहा है और मर्जर ने ट्रामा यूनिट को महज एक क्लीनिक का रूप दे दिया है।

01 जून को किया गया था डी-मर्जर
42 दिनों में 232 मरीज रेफर किए गए
06 सौ मरीजों की ओपीडी है अस्पताल की
07 सौ मरीज बीएमसी में पहुंचते हैं हर दिन
दरअसल, एक छत के नीचे मरीजों को 24 घंटे उपचार देने की प्लानिंग से सबसे ज्यादा जिला अस्पताल प्रभावित हुआ है। दोनों संस्थाओं को एक किए जाने के कारण जिला अस्पताल की ट्रामा यूनिट अब भी शुरू नहीं हो पाई है और फिलहाल इसके शुरू होने की भी अभी कोई हल-चल नहीं है, जबकि एक साल पहले भवन तैयार हो चुका है और अब यहां कैज्युल्टी संचालित की जा रही है। इसमें प्राथमिक उपचार की व्यवस्था है। मरहम-पट्टी करने के बाद मरीजों को सीधे बीएमसी रेफर कर दिया जाता है। हर रोज औसतन 8 से 10 घायल यहां से बीएमसी रेफर हो रहे हैं। कैज्युल्टी के पास ओटी की व्यवस्था नहीं है।
कमीशनखोरी का खेल हो गया शुरू
ट्रामा यूनिट के अभाव में मरीजों को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है। इसी के साथ ही जांचों में कमीशनखोरी का खेल चल पड़ता है। सिर में चोट लगने के कारण बीएमसी पहुंचने वाले मरीजों को डॉक्टर पहले बाहर से सीटी स्कैन कराने का दबाव बनाते हैं। सूत्रों के अनुसार पचास फीसदी घायलों के साथ ऐसा बर्ताव किया जाता है और इसकी आड़ में डॉक्टर निजी लैब से अपना कमीशन वसूलते हैं।
औसतन 5 घायल हो रहे बाहर रेफर
बीएमसी में घायलों के उपचार की व्यवस्था नहीं है। सिर में चोट के ऑपरेशन यहां नहीं होते। न्यूरो सर्जन भी नहीं है। यही वजह है कि बीएमसी से घायलों को भोपाल-नागपुर रेफर कर दिया जाता है। औसतन हर दिन 4 से 5 घायल बीएमसी से रेफर हो रहे हैं। यहां एंबुलेंस संचालकों की भी चांदी कट रही है और उनके निजी अस्पतालों से सीधे संपर्क होने से हर मरीज को लाने पर अच्छा खासा कमीशन मिलता है।

ट्रामा यूनिट के लिए उपकरण खरीदे जाना हैं। प्रपोजल शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन अभी तक शासन ने मंजूरी नहीं दी है। रिमांडर जल्द भेजेंगे।
डॉ. इंद्राज सिंह, सीएमएचओ
मेरे पास लगातार इसी बात को लेकर शिकायतें आ रही हैं। मैंने सभी से रिकार्ड मैनटेन करने को कहा है। जल्द ही इस बारे में कमिश्नर को अवगत कराया जाएगा।
डॉ. जीएस पटेल, डीन बीएमसी

Home / Sagar / मरीज के हित में किया था डी-मर्जर, पर इलाज अब भी दूर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो