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इस गंभीर बीमारी के मरीजों को अब सस्ती मिलेंगी दवाएं

अब कोई भी दवा कंपनी निर्धारित कीमत से ज्यादा दाम नहीं ले सकेगी

सागरDec 02, 2017 / 12:52 pm

आकाश तिवारी

cancer medicine price list

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सागर. राष्ट्रीय दवा मूल्य नियामक (एनपीपीए) ने 51 आवश्यक दवाओं के दामों में ६ से 53 फीसद तक की कटौती की है। जिनमें कैंसर, दिल, दर्द और त्वचा संबंधी इलाज वाली दवाओं को शामिल किया गया है। अब कोई भी दवा कंपनी निर्धारित कीमत से ज्यादा दाम नहीं ले सकती। जानकारों का कहना है कि नियामक के इस फैसले से मरीजों को काफी हद तक राहत मिलेगी।

बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के कैंसर वार्ड से मिली जानकारी के अनुसार सागर शहर में हर वर्ष कैंसर के मरीजों की संख्या एक हजार से ज्यादा बढ़ रही है, जो चिंता का विषय है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष २०१४ में शहर में कैंसर के कुल 1303 मरीज दर्ज थे, जिनकी संख्या 2015 में 2601 पर पहुंच गई थी। वहीं यह आंकड़ा 2016 में 3724 पर पहुंच गया। एनपीपीए के दवाएं सस्ते करने के निर्देश के बाद अब कैंसर के मरीजों का राहत मिलेगी। एमआर यूनियन अध्यक्ष राजेश पंडित के अनुसार गरीब व्यक्ति की पहुंच में भी यह दवाएं आ सकेंगी। एनपीपीए के निर्देश की 24 नवंबर की मेन्यूफैक्चरिंग डेट पर बनने वाली ये दवाएं कम दामों पर बिकेंगी। सस्ती की गईं जो दवाएं अभी स्टॉक में हैं उन्हें पुराने दामों पर ही बेचा जाएगा।

अब तक 874 दवाओं के दाम घटाए
एनपीपीए ने राष्ट्रीय आवश्यक दवा सूची 2015 के तहत अब तक 874 दवाओं के दाम घटाए हैं। सितंबर 2017 तक नियामक 821 दवाओं के दाम निर्धारित कर चुका है। एनपीपीए ने इस बार 13 फॉर्मूलेशन के अधिकतम दाम अधिसूचित किए हैं। वहीं 15 अन्य दवाओं के दाम में यह संशोधन किया जा रहा है। 23 दवाओं की खुदरा कीमतों को भी कम किया गया है।

ये दवाएं सस्ती हुईं
मुख्य तौर पर कोलोन या रेक्टल कैंसर में काम आने वाला ओक्साप्लैटिन (इंजेक्शन 100 ग्राम), जापानी इंसेफेलेटाइटिस वैक्सीन, मीसल्स में काम आने वाली रूबेला वैक्सीन, अनेस्थेसिया में काम आने वाली अनेस्थेटिक सेवोफ्लूरेंस, फाइटोमेनाडिओन और टीवी की रोकथाम में काम आने वाली बीसीजी वैक्सीन शामिल हैं। साथ ही मलेरिया में काम आने वाली क्लोरोक्वीन, बैक्टीरियल इनफेक्शन में काम आने वाली कोफ्रियॉक्सिन, दर्द में काम आने वाली मॉर्फिन, ग्लूकोज इंजेक्शन और हार्ट डिजीज में काम आने वाली फ्यूरोसेमाइड शामिल हैं।

यह है व्यवस्था
एनपीपीए दवा आदेश 2013 के तहत शेड्यूल-1 में आने वाली जरूरी दवाओं की कीमत तय करता है। सरकार जरूरत के हिसाब से जरूरी दवाओं की सूची तैयार करती है। जिसमें समय-समय पर नई दवाओं को शामिल किया जाता है। इसे राष्ट्रीय आवश्यक दवा सूची कहा जाता है। इस सूची की दवाइयां मरीजों के लिए किफायती दर पर दिलाए जाने की आवश्यकता होती है। इसलिए कीमतें घटाई जाती हैं। साथ ही सभी ब्रांड की एक ही दवा की कीमत बराबर रखने का काम भी एनपीपीए करता है। आदेशों का पालन नहीं करने पर दंड का प्रावधान है। हालांकि फॉर्मा कंपनियां इन दवाओं की कीमत 10 फीसदी तक बढ़ा सकती हैं।

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