दर्शन देहू न अपार हे दीनानाथ….
सागर•Nov 14, 2018 / 02:45 pm•
manish Dubesy
Chhath festival celebrated by the sun
घाट पर लगाई आस्था की डुबकी, अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अघ्र्य
सागर. आस्था का महापर्व छठ पर मंगलवार को छठ व्रती ने अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य दिया। महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान रविवार को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ था। सोमवार को खरना पूजा भी संपन्न हुई। सोमवार शाम रोटी और गुड की बनी खीर का प्रसाद ग्रहण किया गया। मंगलवार शाम को अस्ताचल सूर्य को अघ्?र्य दिया गया और बुधवार सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही यह महापर्व समाप्त हो गया।
मंगलवार को शाम होते ही महिलाओं की भीड़ चकराघाट पर जमा हो गईं। यहां यूपी, बिहार, उड़ीसा और बंगाल के परिवारों ने हर्षोउल्लास के साथ पूजन किया। डूबते हुए सूर्य देव की आरधना के लिए पहले डुबकी लगाई उसके बाद आरधना की। दर्शन देहू न अपार हे दीनानाथ…. से घाट गूंज उठा। सूर्यास्त तक पानी में रहकर महिलाओं ने सूर्य देव की अराधना की। मान्यता है कि छठ देवी सूर्यदेव की बहन हैं। पर्व तीसरे दिन निर्जला उपवास कर अस्ताचलगामी सूर्य को दूध व गंगाजल से अर्घ देने का विधान है। पुत्र के दीर्घायु व महिलाओं को पुत्र की प्राप्ति के लिए यह सूर्य षष्ठी व्रत युगों से किया जाता रहा है। डॉ. अराधना झा ने बताया कि महिलाओं ने सोमवार की रात से खरना लेकर निर्जला व्रत शुरू किया था। यह व्रत बुधवार को उगते हुए सूर्य को अघ्र्य देकर समाप्त होगा। इससे पहले डूबते हुए सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। महिलाएं घाट पर पूजन सामग्री लेकर पहुंची। फल और घर में बनाए भोग को रख कर पूजन स्थल में रखा जाता है। ठंड के दिनों में खाए जाने वाले सभी फलों को पूजन में रखा जाता है। इसके बाद महिलाएं घर जाती है और भजन गांती है। सुबह फिर से सूर्य भगवान को अघ्य देने के बाद व्रत खत्म होता है।