वित्तीय वर्ष २००९-१० की सात पहले तो अब २०१०-११ की नौ परियोजनाएं हो रहीं बंद, अब १० परियोजनाओं में चलेगा काम
सागर•Nov 19, 2018 / 03:40 pm•
manish Dubesy
District’s 9 watershed projects will be closed to 30 nov 2018
सागर. जिले में राजीव गांधी जल संग्रहण मिशन (आइडब्ल्यूएमपी) में जल संरचनाएं व माइक्रो वाटरशेड बनाने वाली नौ परियोजनाएं ३० नवंबर को बंद हो जाएंगी। बीते एक साल की बात करें तो जिले में वर्ष २००९ में शुरू हुई २६ में से १६ परियोजनाएं बंद होने के निर्देश जारी हो चुके हैं। हालांकि वर्ष २०११ के बाद शुरू हुई दस परियोजनाएं फिलहाल संचाालित हैं, लेकिन इनमें भी केवल जलसंरचनाओं के निर्माण का काम ही किए जाने की परमीशन है। जानकारी के अनुसार बीते दस साल में जिले में संचालित इन परियोजनाओं पर करीब १०० से ११० करोड़ रुपए व्यय हो चुका है। परियोजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार भी हुआ, कुछ परियोजनाओं का मामला तो विधानसभा तक भी पहुंचा और कार्रवाई करते हुए जिम्मेदारों से कुर्की भी हुई, लेकिन बीते साल हुई कार्रवाई के बाद से स्थितियों में सुधार आया है और अब निर्माण कार्य का जिम्मा भी जिला स्तर की बजाय जनपदों को सौंप दिया गया है। इससे जहां स्थानीय स्तर पर मॉनीटरिंग हो पा रही है तो निर्माण में भी गुणवत्ता मिल रही है। जिला पंचायत से मिली जानकारी के अनुसार ३० नवंबर को वित्तीय वर्ष १०-११ में शुरू हुई नौ परियोजनाएं बंद हो रहीं हैं। इसमें बंडा की तीन, शाहगढ़ की तीन, केसली की एक और रहली ब्लॉक की दो परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं में बीते आठ साल से अपनी सेवाएं दे रहे १२ संविदाकर्मियों की सेवाएं समाप्त होने के निर्देश जारी हो गए हैं। जिसमें छह ब्लॉक समन्वयक और छह इंजीनियर्स शामिल हैं।
२०५ करोड़ का था प्रोजेक्ट
जिले के ११ विकासखंडों में दस साल पहले जब प्रोजेक्ट तैयार किया गया था तो इसमें सागर, केसली, शाहगढ़, बंडा, रहली, राहतगढ़, जैसीनगर, खुरई के गांवों को शामिल किया था। इन गांव में जल संवर्धन व संग्रहण के लिए २०५ करोड़ रुपए के करीब राशि स्वीकृत हुई थी। इसमें से वर्तमान में केवल केसली, राहतगढ़, जैसीनगर, रहली व खुरई में परियोजनाएं संचालित हो रहीं हैं, लेकिन यहां भी पूर्व में भ्रष्टाचार के खुलासे हो चुके हैं। फिलहाल यहां पर करीब ८६ करोड़ रुपए के काम अभी वर्तमान में संचालित हैं।
अब केवल जल संरचनाओं पर होगा व्यय
जिले में वर्ष २००९ में वाटरशेड परियोजना की शुरूआत हुई थी। इसके बाद से वर्ष २०१६-१७ तक इसमें राशि व्यय के लिए अलग-अलग काम निर्धारित किए गए थे। जिसमें ५६ प्रतिशत निर्माण कार्यों पर, १० प्रतिशत कृषि, ९ प्रतिशत अजीविका मिशन, १० प्रतिशत प्रशासनिक व्यय, ५ प्रतिशत प्रशिक्षण, ३ प्रतिशत समेकन चरण, ५ प्रतिशत इवीए व डीपीआर पर और २ प्रतिशत मॉनिटरिंग टीम के निरीक्षण के लिए निर्धारित था। इसमें बदलाव करते हुए अब केवल ५६ प्रतिशत जल संरचनाओं के निर्माण पर और १० की जगह ५ प्रतिशत प्रशासनिक व्यय करने की स्वीकृति मात्र है। इसके अलावा अन्य व्यय पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया गया है।
बीते एक-डेढ़ साल में १६ परियोजनाएं बंद हुई हैं। ३० नवंबर को बंद होने वाली नौ परियोजनाएं भी इसमें शामिल हैं। परियोजना बंद होने के बाद १२ संविदाकर्मी बाहर होंगे। इसके लिए भी प्रदेश स्तर से निर्देश जारी हो गए हैं।
जय गुप्ता, जिला तकनीकि विशेषज्ञ