Divyanga Blind mute-deck school hostel Disorderमैन्यू से गायब है दूध और सब्जी, चाय के लिए निर्धारित की केवल 3 ग्राम दूध की मात्रा
सागर•Aug 20, 2018 / 10:54 am•
sunil lakhera
Divyanga Blind mute-deck school hostel Disorder
सागर. अंध मूक बाधिर स्कूल के छात्रावास में रहने वाले दिव्यांगों को पढ़-लिखकर होनहार छात्र बनने के लिए पार्याप्त खाना भी नहीं मिल रहा है। यहां लगे चार्ट में ही दिनभर की डाइट प्लान का कोई उल्लेख नहीं है, केवल खाना बनाने की सामग्री मात्रा में बताई गई है। जिसमें चाय के नाम पर ३ ग्राम दूध पाउडर की मात्रा निर्धारित है, इसमें एक कप चाय भी नहीं बनाई जा सकती है। पत्रिका टीम ने रविवार को छात्रावास का जायजा लिया तो सरकारी दावों की पोल खुल गई। रसोई घर में पर्याप्त खाने के लिए राशन नहीं है। बच्चों को महीनों तक सादा खाना देकर ही काम चलाया जाता है। छात्रावास में दिव्यांगों की संख्या बढ़ जाने के बाद समय पर उन्हें भोजन भी नसीब नहीं होता है।
नहीं आया गैस सिलेंडर – छात्रावास में गैस सिलेंडर भी एक माह के लिए पर्याप्त नहीं बुलाए जाते हैं। एक सिलेंडर खत्म होने के बाद दूसरा बुलाया जाता है। यहां रविवार को केवल शाम के खाने के लिए ही सिलेंडर था। यह परेशानी हर माह होती है, कभी एक साथ सिलेंडर नहीं बुलाया जाता है।
दो रसोइया बना रहे १४० बच्चों का खाना
छात्रावास में इन दिनों १४० दिव्यांग हंै, यहां चार रसोइया होना चाहिए। यहां वर्षों से केवल लक्ष्मी रैकवार और मुन्नी कोरी ही खाना बना रही हैं। केवल दो लोग खाना बनाते हैं इसलिए सुबह १०.३० के बजाय यहां बच्चों को १२.०० बजे तक खाना दिया जाता है। लक्ष्मी रैकवार ने बताया बच्चों की संख्या इस वर्ष बड़ गई है, ४० बच्चे नए आए हैं। ऐसे में समय पर दो रसोईयां खाना नहीं दे सकते हैं। १०.३० से खाना बटना शुरू हो जाता है लेकिन पूरे बच्चे १२ बजे तक खा पाते हैं।
नाश्ता में हर रोज मिलता है पोहा
वर्षों से दोपहर के नाश्ते में हमें पोहा ही दिया जा रहा है। दिव्यांगों ने बताया कि अन्य कोई सामान बनाने के लिए सामग्री ही नहीं दी जाती है। यदि कोई दानदाता आकर कुछ राशन दान कर देते हैं तो नया कुछ बनाया जाता है। रोजाना खाने में रोटी, सब्जी, दाल, चावल बनाया जाता है। सब्जी के मैन्यू में भले ही बदलाव कर दिया जाता है। १५ अगस्त के बाद सादे खाने के अलावा कुछ खाने नहीं दिया गया। यहां रविवार को हमें पुड़ी-सब्जी भी खाने नहीं मिलती है।
दूध पाउडर की चाय
यहां चाय के लिए दूध भी नहीं मंगाया जाता है। दिव्यांगों के लिए दूध पाउडर से बनी चाय पिलाई जाती है, एक बच्चे के लिए केवल ३ ग्राम पाउडर की मात्रा निर्धारित की गई है। दूध पाउडर न रहने से कभी-कभी चाय भी नहीं मिलती है। दिव्यांग वीरेन्द्र लोधी और मनु अहिरवार ने बताया कि हमें सादे भोजन के लिए अलावा कुछ नहीं मिलता, चाय भी दूध पाउडर से बनने वाली अच्छी नहीं रहती है। कभी भी दूध नहीं बुलाया जाता है।