सागरPublished: Nov 26, 2022 08:45:57 pm
sachendra tiwari
सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं प्रशासन, घटना के बाद खुलती है नींद
Forgot responsible after two days of investigation, school vehicles ru
बीना. भोपाल में हुई घटना के बाद प्रशासन हरकत में आया गया था और कुछ दिनों तक लगातार कार्रवाई चली। पुलिस ने दो दिन तक स्कूल वाहनों की जांच की और कमियों को दूर करने के दिशा-निर्देश दिए थे। इसके बाद कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बच्चों की सुरक्षा की ओर अब किसी का ध्यान नहीं है। वाहन चालक मनमर्जी और लापरवाही पूर्वक बच्चों को स्कूल ले जा रहे हैं। स्कूल बस सहित अन्य वाहनों में बच्चों को क्षमता से अधिक बैठाया जा रहा है और सुरक्षा के अन्य इंतजाम भी नहीं हंै। अधिकांश स्कूल बस से सीसीटीवी कैमरा गायब हैं, जबकि पिछले दिनों पुलिस ने जांच के दौरान कैमरे लगाने के निर्देश दिए थे। सभी स्कूल वाहन चालकों का वैरीफिकेशन भी नहीं हो पाया है, जिससे यह पता नहीं चलता है कि वाहन कौन चला रहा है और उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड तो नहीं है। इसको लेकर स्कूल प्रबंधन भी गंभीर नहीं हैं, जिससे यह लापरवाही बरती जाती है। स्कूली बच्चे सबसे ज्यादा असुरक्षित छोटे वाहनों में हैं, क्योंकि इनमें क्षमता से अधिक बच्चे बैठाए जाते हैं, जिससे अच्छे तरीके से बैठने के लिए जगह भी नहीं मिलती है। आपे, ऑटो सहित अन्य वाहनों में सुरक्षा जाली भी नहीं लगाई जाती है और वाहन अनियंत्रित होने पर बच्चों के नीचे गिरने का खतरा बना रहता है। यदि पुलिस द्वारा लगातार जांच कर वाहन चालकों को समझाइश दी जाए, तो इसमें सुधार हो सकता है।
फिटनेस की नहीं हो रही जांच
स्कूल वाहनों की फिटनेस की जांच न होने के कारण कंडम वाहनों में बच्चों को बैठाया जा रहा है, जिससे हादसों का डर बना हुआ है। दूसरे शहरों से लोग पुराने वाहन लाकर स्कूलों में लगा रहे हैं। यदि जांच की जाए तो कई वाहन ऐसे निकलेंगे, जो चलने लायक ही नहीं है।
रफ्तार पर नहीं ब्रेक
छोटे वाहन बच्चों को बैठाकर तेज गति से वाहन दौड़ाते हैं, जिससे वाहन के अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा रहता है। ऐसे वाहन चालकों पर कार्रवाई नहीं होती है। साथ ही स्कूल वाहनों रंग भी पीला नहीं किया जा रहा है, जिससे वाहन चिंहित नहीं हो पाते हैं।