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SURVEY : इन बातों से मिलती है खुशी, जीवन साथी के बारे में यह सोचते हैं लोग

पत्रिका ने संभाग के चार जिलों में कराया सर्वे: ४६.०६ प्रतिशत लोग जीवनसाथी के साथ खुश, ४३.०३ प्रतिशत लोगों ने अकेले रहने में ज्यादा खुशी बताई।

सागरJan 24, 2018 / 05:11 pm

रविकांत दीक्षित

sagar patrika news

Happiness comes from these things

सागर/छतरपुर/टीकमगढ़/दमोह. कई लोग इच्छाओं की पूर्ति करने में जब सफल हो जाते हैं तो खुश होते हैं। लेकिन यह खुशी अस्थाई है क्योंकि एक इच्छा पूरी होने के बाद दूसरी इच्छा उत्पन्न हो जाती है। असली खुशी तब मिलती है, जब कोई काम पूरा करने से सन्तुष्टि मिले। जब परिवार के सदस्य खुश होते हैं, तब भी आपको खुशी मिलती है। सच्ची खुशी तब है, जब मन से खुश हों। ये तथ्य सागर संभाग के सागर सहित छतरपुर, टीकमगढ़ और दमोह जिले के लोगों पर किए गए सर्वे में सामने आए हैं। पत्रिका सर्वे में लोग खुशी या आनंद के विषय में क्या सोचते हैं, यह जानने के लिए युवा-वयस्क लोगों को शामिल किया गया। ये सभी अलग-अलग प्रोफेशन से जुड़े हैं।
यह भी कहा
परिवार की खुशी और मनचाहा पूरा हो जाने से लोग खुश होते हैं लेकिन खुश होने के लिए किस चीज की जरूरत होती है? इस प्रश्न के जवाब में ९३.३३ प्रतिशत लोगों ने कहा कि खुश रहने के लिए घर, गाड़ी, पैसा, आजादी, अनुकूल वातावरण जरूरी है। यानी खुशी बाह्य वस्तुओं पर निर्भर करती है।
सुबह खुशी के साथ उठना संभव नहीं
सर्वे में ‘क्या आप सुबह उठते समय खुश होते हैं?Ó जवाब में लोगों ने माना कि हर सुबह संभव नहीं है। ९२.७२ फीसदी ने स्वीकारा कि वे हर सुबह खुशी के मूड में उठें, यह आवश्यक नहीं है, रात को तनाव या अगले दिन की चिंता के साथ सोते हैं। ७.२८त्न ने कहा वे रोजाना सुबह खुश मूड में उठते हंै।
फिट रहने के लिए जरूरी है खुशी
चुस्त-दुरुस्त रहना है तो अंदर से खुश होना जरूरी है। बाह्य खुशी क्षणभर की होती है। सर्वे में ६३.३३ प्रतिशत लोगों ने माना कि खुश रहने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। जबकि ३९.३९ प्रतिशत लोगों ने कहा कि हम खुश रहते हैं तो अन्य लोगों को भी खुश रख पाते हैं।
किसी के होने या न होने पर असर नहीं

सर्वे में अकेले और साथी के साथ खुश रहने वालों की संख्या में कोई खास अंतर नहीं मिला। यानी खुशी आंतरिक भाव है, जिस पर किसी के होने या न होने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता। वहीं, ३३.३३त्न ने कहा कि खुश रहने पर खुद को या सामाजिक विश्व को जानना और किसी को भूलना आसान हो जाता है।
किससे मिलती है खुशी
काम ईमानदारी से करना – २१.८१ फीसदी

असफलता को साहस से स्वीकारना- १०.९१ फीसदी
परिवार में जब सब खुश हों३७.५८ फीसदी
जब कुछ मनचाहा मिल जाए – २२.४२ फीसदी
जब कोई रुचि की बातें करे – ७.२८ फीसदी
खुशी खुद के भीतर या बाह्य वस्तुओं पर निर्भर
खुशी भीतर होती है – ६४.२४ फीसदी
अंदर भी और बाहर भी- ३५.७६ फीसदी
क्या खुशी खरीदी जा सकती है- ६९.७० फीसदी नहीं / ३०.३० फीसदी कुछ समय के लिए
जीवनसाथी संग खुश रहते हैं या अकेले?
अकेले – ४३.०३ फीसदी
साथी के साथ- ४६.०६ फीसदी
दोनों स्थिति में- १०.९१ फीसदी
६३ फीसदी के खुश रहने से स्वास्थ्य बेहतर
४३ फीसदी अकेले ज्यादा खुश दिखे
३३.३३ फीसदी ने कहा कोई काम करने से संतुष्टि मिलने पर खुशी मिलती है
१९.४० फीसदी लोगों का मानना है कि रोजमर्रा की जरूरतें पूरी होना खुशी देता है
२४.२४ फीसदी ने कहा दोस्तों से गपशप करने, इच्छाएं पूरी होने से खुशी मिलती है
१३.३३ फीसदी लोगों ने कहा संबंधों में परस्पर ईष्र्या या होड़ नहीं हो तो खुश होते हैं

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