रंगोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को भाई दूज का त्योहार मनाया गया। इसी दिन कायस्थ समाज द्वारा चित्रगुप्त पूजा की गई। भाई दूज को लेकर बुंदेलखंड में विशेष स्थान दिया गया है। इस दिन भाई की कुशलता एवं लंबी उम्र की कामना के लिए घरों में पूजन किए गए। पं. शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि इसे लेकर पौराणिक कथा भी है कि स्वयं यम की बहन यमुना ने अपने भाई से वर मांगा था कि जो भी भाई इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके अपनी बहन के यहां भोजन करे उसे मृत्यु का भय नहीं रहेगा। ऐसा भी कहा जाता है कि यही वह दिन है जब यम ने अपनी बहन यमुना का सत्कार स्वीकार कर उसके घर भोजन किया था। बहनों ने सुबह अपने घर और भाई के घरों में जाकर उन्हें टीका लगाया। कई जगह विष्णु एवं भगवान गणेश की पूजा हुई। गोबर के दूज बनाए और विधि-विधान से पूजा की।
जेल में लगाया भाई को तिलक
केंद्रीय जेल में भाईयों को तिलक लगाने के लिए बहनें पहुंची। यहां कतारबद्ध खड़े होकर भाईयों को तिलक लगाने के लिए बहनों ने इंतजार भी किया। बहनें भआई से मिलने और उसे प्यार का धागा बांधने के लिए दूर-दूर से यहां पहुंची। जेल में भाईदूज के दिन बहनों को बंदियों से खाल मुताकारत कराई गई। यहां भाई को रोली से टीका लगाकर मुंह मीठा कराया गया।