सागर.किन्नरों ने अपने अधिकारों पर केंद्र सरकार की उपेक्षा के चलते इच्छा मृत्यु की मांग की है। इनका आरोप है कि केंद्र सरकार ने आम आदमी को सोना रखने के लिए नियम तो बना दिए है, लेकिन किन्नर कितना सोना रख सकता है, ऐसी कोई नियम नहीं बनाया है। नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार ने सोना रखने को लेकर नियम जारी किए थे।
बुधवार को यहां राष्ट्रीय किन्नर संघ की सदस्य व पूर्व महापौर कमला बुआ ने ने कहा कि केंद्र सरकार ने यह तय किया है कि महिला, लड़कियां, पुरुष कितना सोना रख सकते हैं, लेकिन इसमें यह नहीं बताया कि किन्नर कितना सोना रख सकते हैं? हमारे बच्चे नहीं, परिजन भी हमारे साथ नहीं रहते, हमारा जो कुछ है वह किन्नर समाज है। हमें लोग ख़ुशी के मौके पर रुपया और सोना देते हैं, इसलिए कम से कम एक किन्नर एक किलो तक सोना रख सके, ऐसा नियम सरकार को बनाना चाहिए। यदि सरकार इस तरह उपेक्षा करती है तो वो हमें इच्छा मृत्यु की इजाजत दे दे।
संविधान में सभी को समानता
डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के समाज शास्त्र विभाग के प्रोफेसर दिवाकर राजपूत का कहना है कि देश के संविधान में सभी को समानता का अधिकार प्राप्त है। ऐसे में आम आदमी के जो अधिकार हैं, वही थर्ड जेंडर के भी हैं। ऐसी स्थित में सरकार को सोना रखने के नियम बनाते समय थर्ड जेंडर के बारे में भी सोचना चाहिए।