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जानिए बीते चार साल से इस वर्ष कैसे अलग रहा जनवरी का महीना, फरवरी कैसा रहेगा

आमतौर पर जनवरी का महीना कड़ाके की सर्दी के लिए जाना जाता है लेकिन इस बार…

सागरJan 31, 2018 / 04:37 pm

रेशु जैन

Know how different this year is going to be different this year

Know how different this year is going to be different this year

सागर. आमतौर पर जनवरी का महीना कड़ाके की सर्दी के लिए जाना जाता है लेकिन इस बार की जनवरी बीते चार सालों की तुलना में ज्यादा गर्म रही। पूरे महीने में तापमान ६.५ डिग्री से नीचे नहीं गया, जबकि १३ जनवरी २०१७ को न्यूनतम तापमान ४.८ डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
वहीं अब मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि फरवरी की शुरुआत में ही अधिकतम तापमान ३० डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा। इस दौरान न्यूनतम पारा १७ डिग्री तक जाने के आसार हैं।
इसलिए परिवर्तित हो रहा है मौसम
जनवरी के पूरे महीने में मौसम का उतार-चढ़ाव जारी रहा। शुरुआत में ठंड के बाद एक हफ्ते तक मौसम गर्म हो गया था लेकिन अब एक बार फिर ठिठुरन बढ़ गई है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार पश्चिमी विक्षोप के कारण मौसम परिवर्तन हो रहा है। जनवरी के पूरे महीने में विक्षोप सक्रिय रहने से बीते सालों के मुकाबले इस साल ठंड कम रही।
ग्लोबल वार्मिंग का असर
मौसम के इस तरह नित-नए परिवर्तन के पीछे ग्लोबल वार्मिंग भी एक बड़ा कारण है। प्रदूषण से हालात हर साल बिगड़ रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग का असर लोगों की जीवन शैली पर पड़ रहा है। इस दौर में शायद ही कोई ऐसा इंसान है, जिसे ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जानकारी न हो। यह हमरा द्वारा ही पैदा किया जा रहा है। प्रदूषण से पृथ्र्वी के बढते तापमान को ही ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। इसका सीधा असर अंटार्टिका में जमी बर्फ पर पड़ रहा है। यहां की वर्फ लगातार पिघल रही है। इसके साथ ही भारत में हिमालय पर बर्फ भी पिघल रही है। परिणामस्वरूप समुद्र का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। इसके ही परिणामस्वरूप गर्मी के मौसम में तेज हवाएं चलती हैं।

ग्लोबल वॉर्मिंग से पूरी दुनिया परेशान है। धरती लगातार गर्म हो रही है। इसका सीधा उसका असर जलवायु पर पड़ रहा है। इस मामले में वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर धरती इसी तरह गर्म होती रही तो मानव का जीनी मुश्किल हो जाएगा। प्रकृतिक रूप से ग्रीनहाउस प्रभाव एक क्रिया है। इस दौरान यह धरती को इस हद तक गर्म कर रही है कि इनसान का यहां आराम से रहना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। धरती पर नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाय ऑक्साइड के साथ ही दूसरी गैसों की एक चादर ने हमारी धरती को घेर रखा है। जो सूरज की गर्मी को सोखकर रखती हैं। लेकिन धरती पर हमारी गतिविधियों की वजह से लगातार कार्बन डाय ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। जंगलों और पेड़ों का कटना और लगातार हो रहे प्रदूषण से वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है। यह मानव की आने वाली पीढ़ी के लिए बेहद खतरनाक है।

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