महार रेजिमेंट का उदय महाराष्ट्र में हुआ और इसे बाबा साहेब अम्बेडकर ने नया स्वरूप प्रदान किया। तब से महार रेजिमेंट देश की रक्षा के लिए अदम्य साहसी जवान तैयार कर रही है। रजिमेंंट में अब तक 22 बटालियनों का गठन किया जा चुका है जिनमें करीब साढ़े 17 हजार पराक्रमी जवान हैं जो देश की सेवा के लिए सीमाओं पर डेरा जमाए रहते हैं। सागर के सदर क्षेत्र में महार रेजिमेंट सेंटर विस्तृत क्षेत्र में स्थित है। ट्रेनिंग सेंटर में जवानों को शारीरिक, मानसिक और हथियारों का प्रशिक्षण देकर उन्हें युद्धाभ्यास भी कराया जाता है। यहां मिलने वाले बेहतर प्रशिक्षण का परिणाम है कि देश की रक्षा के हर मोर्च पर महार के योद्धाओं ने राष्ट्र और रेजिमेंट का नाम रोशन किया है। महार की शौर्यगाथा न केवल देश की चर्तुदिश सीमाओं पर बल्कि श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ्रीकी देशों तक फैली है। महार के सैनिक न केवल युद्ध कौशल में अव्वल हैं अपितु संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विभिन्न देशों में सामाजिक दायित्वों के निर्वहन और मानवता की सेवा के लिए चलाए जाने वाले अभियानों में भी शामिल रही है।
देश को दिया एक परमवीर और दो सेनाध्यक्ष –
महार रेजिमेंट सेंटर से प्रशिक्षण प्राप्त कर भारत माता के मान के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले जवान परमेश्वरन को सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है। परमेश्वरन ने श्रीलंका में तमिल उग्रवादियों से लोहा लेते हुए वीरगति प्राप्त की थी। रेजिेमेंट ने जहां वीर जवान देश को दिए हैं वहीं दो सेनाध्यक्ष जनरल केवी कृष्णाराव और जनरल केएस सुंदरजी जैसे सेना नायक भी दिए हैं जिन्हें भारतीय सेना को नया आयाम देने के लिए जाना जाता है।
फैक्ट फाइल
-22 बटालियन हैं महार रेजिमेंट की देशभर में
-करीब 17600 सैनिक-अफसर हैं देश रक्षा में तैनात
-तीन टेरेटरी बटालियनों में 3600 है बल की संख्या
-राष्ट्रीय रायफल्स की तीन बटालियनों में 1800 जवान हैं तैनात