बैंक की लाइन में नोट बदलवाने के लिए खड़े एक शख्स को हार्टअटैक आया, वो चक्कर खाकर जमीन पर गिर पड़ा, लेकिन लाइन में खड़े बाकी लोगों के लिए सिर्फ नोट बदलवाना ही जरूरी था।
सागर। नोट बदलवाने के लिए लोग इस कदर जल्दी में है कि इंसानियत को कब वो लाइन में पीछे छोड़ आए, उन्हें खुद ही पता नहीं चला। बैंक से नोट बदलवाने के लिए लाइन में खड़े एक शख्स को अचानक सीने में दर्द उठा। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, वो जमीन पर गिर पड़ा।
आधे घंटे तक भीड़ तमाशबीन बनी रही, न तो एम्बुलेंस पहुंची और न ही पुलिस। जैसे तैसे उसे अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने कहा कि हार्टअटैक आया है और कुछ देर बाद इस शख्स की मौत हो गई।
ये घटना सागर की है, जहां बीएसएनएल से रिटायर्ड अकाउंटेंट विनोद कुमार पांडे 500 और 1000 रुपये के नोट बदलवाने के लिए मकरोनिया क्षेत्र के यूनियन बैंक की शाखा के बाहर लाइन में खड़े थे। करीब 4 हजार रुपये लिए विनोद कुमार पांडे काफी देर से लाइन में अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इससे पहले कि प्यास और धूप से बेहाल विनोद कुमार अपने नोट बदलवा पाते, उन्हें लाइन में ही तेज चक्कर आए।
बेसुध विनोद कुमार वहीं गिर पड़े। आस पास के लोगों ने 100 और 108 नंबर पर फोन कर घटना की सूचना दी। लेकिन आधे घंटे तक भी मौके पर कोई नहीं पहुंचा। लिहाजा करीब 12.30 बजे उन्हें एक निजी वाहन से पास के ही प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरी जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
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हैरान कर देने वाली बात ये थी कि आधे घंटे तक आंखों के सामने जमीन पर पड़े एक शख्स को देखकर भी लाइन में लगे लोगों के दिल पर कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्हें सिर्फ इस बात की चिंता थी कि जल्द से जल्द उनके नोट बदल जाएं। चक्कर खाकर जमीन पर बेसुध पड़े विनोद कुमार पांडे की जान बचाने के बजाए, ज्यादातर लोगों को लाइन से हटना मंजूर नहीं था।
ये बात सच है कि नोटों के बदलने के फैसले के बाद बैंकों के बाहर लम्बी लम्बी कतारें लगीं हुईं हैं। आम लोगों के सामने रोजमर्रा की कई समस्याएं खड़ी हैं। लेकिन इस स्थिति में भी इंसानियत का जिंदा रहना शायद बेहद जरूरी है। क्योंकि किसी भी कतार में पहला नंबर आने से ज्यादा जरूरी इंसानियत है। यदि आधे घंटे तक इंतजार करने के बजाए विनोद कुमार पांडे को प्राथमिक चिकित्सा मिल जाती, तो शायद किसी का कोई नुकसान नहीं होता।