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सागर

बोन मेरो ट्रांसप्लांट से आम बच्चों की तरह जी सकेंगे जिंदगी

रोटरी क्लब सागर फिनिक्स संस्था के प्रयास रंग लाए, संस्था के पास थैलेसीमिया से पीडि़त 42 बच्चे हैं जिन्हें ब्लड की व्यवस्था कराई जाती है

सागरMar 19, 2019 / 03:01 am

आकाश तिवारी

Match with HLA test mother of two children suffering from thalassemia,

थैलेसिमिया से पीडि़त दो बच्चों के एचएलए टेस्ट मां से हुए मैच, अब होगा बोर्न मेरो ट्रांस्प्लांट

सागर. जन्म से थैलेसीमिया जैसी जानलेवा बीमारी लेकर पैदा हुए दो बच्चों के एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) टेस्ट की रिपोर्ट आ चुकी है। इन बच्चों का अब बोन मेरो ट्रांसप्लांट होगा। यह ऑपरेशन सफल हुआ तो ये बच्चे आम बच्चों की तरह जिंदगी जी सकेंगे। यह सब कुछ 15 साल से काम रही रोटरी क्लब सागर फिनिक्स संस्था के प्रयासों से संभव हो पाया है। हालांकि अभी इसमें परिजनों की अनुमति बाकी है।

खासबात यह है कि 10 से 12 लाख रुपए संस्था, सरकार आदि उठाएगी, लेकिन 2 से 3 लाख रुपए का खर्च परिजनों को उठाना है। परेशानी की बात यह है कि दोनों बच्चों के माता-पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। एेसे में संस्था अब पीडि़तों के समाज विशेष से सहयोग की उम्मीद लगाए हुए है और उनको आगे लाने के प्रयास में जुटी गई है।

केस- 1
2 साल की सनाया जसवानी सागर के सिंधी कैंप में रहने वाली है। जन्म से ही इसे थैलेसीमिया की शिकायत थी। संस्था द्वारा लगाए गए शिविर में इस बच्ची के एचएलए के सैंपल लिए गए थे, जिसकी टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। बच्ची का एचएलए उसकी मां से मिला है। 2 साल से इस संस्था ने अपने डोनरों के माध्यम से बच्ची के लिए ब्लड की व्यवस्था की है। बच्ची का बोन मेरो ट्रांस्प्लांट होना है।

केस- 2
करेली क्षेत्र निवासी 7 वर्षीय पलास पुत्र संजय अग्रवाल का एचएलए टेस्ट उसकी मां से पूरी तरह मैच हुआ है। यह बच्चा भी थैलेसीमिया से पीडि़त था। यह बच्चा संस्था द्वारा लगाए गए तीन कैंप में आया था, जहां इसकी जांच के लिए सैंपल भेजा गया था। इस बच्ची के माता-पिता को ऑपरेशन के संबंध में जानकारी दे दी गई है।

संस्था के प्रोजेक्ट कोऑॅर्डिनेटर मुकेश साहू बताते हैं कि १५ साल से थैलेसीमिया से पीडि़त बच्चों के लिए ब्लड की व्यवस्था की जा रही है। अभी तक संस्था से २ हजार से अधिक डोनर जुड़े हैं, जो समय-समय पर 42 बच्चों के लिए ब्लड की व्यवस्था करते आ रहे हैं। साहू ने बताया कि इन बच्चों के दिव्यांग प्रमाण पत्र, रेलवे किराया में छूट के लिए प्रमाण पत्र आदि भी बनवाए हैं। पेंशन के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। साहू के अनुसार कोल इंडिया लिमिटेड, जो भारत सरकार का उपक्रम हैं। वह एेसे बच्चों के ऑपरेशन के लिए १० लाख रुपए की सहायता देता है।

क्या है बोन मेरो
बोन मेरो मतलब अस्थिमज्जा हड्डी के बीच जहां खून रहता है उसे कहा जाता है। जब खून के सेल कैंसरग्रस्त हो जाते हैं तो नया खून बनना बंद हो जाता है। इससे शरीर में खून की कमी, हड्डी में दर्द, किडनी में खराबी आ जाती है। कैंसर के कारण स्टेम सेल भी प्रभावित होता है। बोन मेरो ट्रांसप्लांट ब्लड कैंसर के अलावा थैलीसीमिया और अप्लास्टिक एनीमिया से पीडि़त मरीजों को की जाती है। अप्लास्टिक एनीमिया बीमारी में बॉडी में खून बनना बंद हो जाता है। असल में खून नहीं बनने की दो वजहें होती हैं- एक तो यह कि बोन मेरो खून की कोशिकाएं ही नहीं बनाता और दूसरा यह कि खून की कोशिकाएं बनती तो हैं, लेकिन एंटी बॉडी उन्हें नष्ट कर देती है।

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