scriptये कैसी लाल फीताशाही, दो बार पैसे लैप्स हो गए, तीन बार छज्जा गिर गया, फिर भी नहीं बन पा रहा स्कूल का भवन | mlb school sagar | Patrika News
सागर

ये कैसी लाल फीताशाही, दो बार पैसे लैप्स हो गए, तीन बार छज्जा गिर गया, फिर भी नहीं बन पा रहा स्कूल का भवन

एमएलबी स्कूल का भवन अब गिरा कि तब गिरा वाली स्थिति में है। छात्राएं ऐसे ही भवन में पढऩे को मजबूर हैं।

सागरNov 14, 2017 / 09:17 pm

रेशु जैन

mlb school sagar

mlb school sagar

सागर. शहर में शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई स्कूल (क्रं2) स्कूल का भवन जर्जर हो गया है, जो कभी भी जमींदोज हो सकता है। इसकी मरम्मत के लिए शिक्षकों ने कई बार गुहार लगाई, लेकिन शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अफसर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। छात्राएं अपनी जान जोखिम में डालकर इसी भवन की छत के नीचे बैठकर पढऩे के लिए मजबूर हो रही हैं। जानकारी के अनुसार यह भवन एमएलबी प्राथमिक स्कूल का है, और यहां मिडिल, हाई व हायरसेकंडरी स्कूल भी लग रही है। यहां 938 छात्राएं पढऩेआती हैं।
दो बार लैप्स हो चुका है राशि
भवन निर्माण के लिए आरएमएसए द्वारा तीन बार राशि स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन अधिकारियों के सुस्त रवैये से दो बार राशि लैप्स हो चुकी है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्कूल का संचालन केंट बोर्ड में हो रहा है, केंट द्वारा भवन निर्माण के लिए स्वीकृति नहीं मिलने से राशि लैप्स हुई है। एमएलबी स्कूल में कक्षाओं के लिए अलग से कक्ष ही नहीं है। पूरा स्कूल एक हॉल में संचालित किया जा रहा है। इसमें ही अलग-अलग कक्षाएं लगाने के लिए बोर्ड लगाए गए हैं। हॉल में आवाज गूंजने से छात्राओं को अध्ययन में परेशानी होती है। शिक्षक अपने स्तर पर व्यवस्थाएं बनाकर पढ़ाई कराते हैं।
तीन बार गिर चुका छज्जा
जर्जर भवन में घपरैल की छत है, जो कई स्थानों से तीन बार गिर चुका है। स्कूल प्रंबधन इसे अपने खर्च पर ठीक कराता है। शिक्षकों ने बताया कि जब भी छज्जा गिरा, तब वहां कक्षाओं का संचालन नहीं हो रहा था।
एक भवन से परेशानी
एक ही भवन में सुबह से प्राथमिक और मिडिल स्कूल लगता है। इसके बाद दोपहर 12 बजे से हायरसेकंडरी स्कूल की कक्षाएं लगती हैं। जगह नहीं होने से कक्षा ९वीं भी सुबह लगती है।
यह भवन वर्ष 1876 में बना था।
वर्ष 2005 से यहां स्कूल लग रहा है।
तब से लेकर अब तक कई बार भवन बनाने के प्रयास हुए
शिक्षा के शुद्धिकरण के अंतर्गत आरएमएस द्वारा भवन निर्माण के लिए 88 लाख रुपए दिए गए थे।
वर्ष 2005 में 6 लाख और 2007 में 30 लाख रुपए मंजूर किए गए थे।
भवन बनाने के लिए स्कूल से पास पर्याप्त जमीन है।
केंट बोर्ड से अनुमति नहीं मिलना भवन न बनने की वजह बताई जा रहा है।
भवन निर्माण के लिए स्कूल प्रबंधक ने अपने स्तर पर प्रयास किए हैं। जर्जर भवन की समस्या के विषय में सभी प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत करवाया जा चुका है, इसके बाद भी केवल आश्वासन ही मिला है।
-एसके जैन, वरिष्ठ व्यख्याता

Home / Sagar / ये कैसी लाल फीताशाही, दो बार पैसे लैप्स हो गए, तीन बार छज्जा गिर गया, फिर भी नहीं बन पा रहा स्कूल का भवन

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो