पहले दिन भाग्योदय तीर्थ में आयोजित धर्मसभा में मुनि प्रमाण सागर ने कहा कि युग के आदि में अषी,मसी और कृषि विद्या वाणिज्य यह जीवन निर्माण की प्रमुख बातें हैं। बीजों का निर्माण भी उनके द्वारा हुआ है। उन्होंने निर्वाह से लेकर निर्वाण तक का पाठ पढ़ाया है। ऋग्वेद में 141 स्थानों पर भगवान ऋषभदेव का उल्लेख किया गया है। आदिनाथ जयंती के मौके पर मुनिश्री ने कहा कि भारत का नाम भी भगवान आदिनाथ के पुत्र भरत भगवान के नाम के कारण पड़ा है। भगवान ऋषभदेव का उल्लेख अनेकों ग्रंथों में है भागवत में भी उनके 10 वे अवतार का उल्लेख किया गया है। भगवान आदिनाथ का स्मरण करने के बराबर है 68 तीर्थों पर जाना उतना पुण्य मिलता है। उन्होंने कहा कि वे भारतीय संस्कृति का मूल आधार थे वैदिक धर्म के पूर्व सिंधु घाटी की सभ्यता के पूर्व भगवान ऋषभदेव आराध्य थे इसका उल्लेख लिखा हुआ है।
अब सागर का होगा भाग्य उदय
मुनि श्री ने कहा कि भाग्योदय में बनने वाला सर्वतो भद्र जिनालय जनहितकारी योजना है इससे सब का कल्याण होगा। आज इस मंदिर की कार्यशाला देखने का अवसर प्राप्त हुआ मन गदगद हो गया। भारत में 9 लाख घनफुट पत्थर से बनने वाला यह एकमात्र मंदिर है जो चतुर्मुखी होगा। भाग्य-उदय तो सागर का होना था। इसलिए गुरुदेव के सानिध्य में आज से 3 दशक पूर्व यहां पर भाग्योदय का शिलान्यास हुआ था। आज यह सब अपने मूर्त रूप में आ गया है तो निश्चित रूप से यहां का उद्धार भी अपने आप हो रहा है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड की धरती बड़ी उर्वरा धरती है पहले यहां पर साधन अल्प थे जितना संपन्न आज है। उतनी ही उदारता से बुंदेलखंड के लोग दान देने में पीछे नहीं है।
मुनिश्री को किए शास्त्र भेंट
धर्मसभा में ऐलक सिद्धांत सागर ने तीर्थ क्षेत्र सम्मेद शिखर में बनने जा रहे गुडायतन की जानकारी दी। मुनि कुन्थु सागर ने कहा सम्यकदृष्टि जीवमुनि महाराज के दर्शनकर अपने को धन्य मानता है। गुडायतन के प्रणेता मुनि प्रमाण सागर जी निराले हैं। महेश बिलहरा, सन्तोष बिलहरा, राहुल, उषा जैन, अर्चित जैन और प्रेमचंद संध्या, सौरव,अंशुल,नीरज, दिव्यांश ने पाद प्रच्छालन कर शास्त्र भेंट किए।
आज अगवानी में प्रमुख रूप से देवेंद्र जैना, प्रकाश जैन,मुकेश जैन ढाना, आनंद नीटू, राकेश पिडरुआ,पूर्व विधायक सुनील जैन, सुरेंद्र मालथोन, राजेश जैन, मनोज लालो, प्रदीप जैन महावीर, महेंद्र पिसी, कनछेदी दाऊ, प्रियेश जैन,राजकुमार मिनी,प्रदीप पड़ा, तरुण जैन,इंद्र कुमार नायक, असर्फी जैन, आदि उपस्थित थे। संचालन मुकेश जैन ढाना और सुरेन्द्र मालथौन ने किया।