scriptबचपन से ही कर रहे हैं फिशिंग का काम, ये है वजह | National Go Fishing Day | Patrika News
सागर

बचपन से ही कर रहे हैं फिशिंग का काम, ये है वजह

नेशनल गो फिशिंग डे

सागरJun 18, 2019 / 03:20 pm

manish Dubesy

National Go Fishing Day

National Go Fishing Day

शौक ऐसा कि उसे ही बना लिया रोजगार का साधन
सागर. कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें हम सामान्य तरीके से ले लेते हैं लेकिन देखा जाए तो वह शौक नहीं बल्कि कुछ और ही है। सामान्यत: देखने में आता है कि फिशिंग लोगों की हॉबी में शामिल है लेकिन सागर में ऐसे कई लोग हैं जिनके लिए यह सिर्फ फिशिंग ही नहीं बल्कि रोजगार का एक बड़ा साधन है।
इनसे जानें
35 वर्षीय अरुण रैकवार ने बताया कि वह तब से फिशिंग के लिए जा रहे हैं जब से होश संभाला है। वह शुरुआत में इस काम को आसान समझते थे लेकिन जब उनका यह काम एक शौक बन गया तो वह है इसमें अपना रोजगार तलाशने लगे। वर्तमान में अरुण इसी से अपनी आजीविका चला रहे हैं और शहर का ऐसा एक भी बांध, जलाशय व जल परियोजना नहीं जहां पर अरुण ने दस्तक ना दी हो। संतोष रैकवार जब आठ साल के थे तब फिशिंग करते थे, क्योंकि परिवार की आजीविका का यही साधन था। लेकिन संतोष ने इस काम के साथ-साथ पढ़ाई जारी रखी। इसके बाद उनकी सरकारी नौकरी भी लग गई। वह बताते हैं कि १५-२० साल पहले लाखा बंजारा झील में ही इतनी पर्याप्त मछलियां थी कि फिशिंग के जरिए परिवार का लालन-पालन हो जाता था। अब जब समय मिलता है तो फिशिंग बतौर शौक के रूप में
करते हैं।

Home / Sagar / बचपन से ही कर रहे हैं फिशिंग का काम, ये है वजह

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो