स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्योति चौहान ने बताया कि प्रेग्नेंसी की सही उम्र 18 से 24 साल है। इस उम्र से पहले मां बनने वाली महिलाओं के बच्चे में जन्म के समय मृत्यु होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। शादी और कॅरियर की वजह से लड़की की शादी ही लगभग 25 साल के बाद होती है। इस उम्र के बाद अधिक इंतजार नहीं करना चाहिए। अब तो सरकार भी प्रसुति अवकाश के साथ दो साल के लिए चाइल्ड केयर लीव देती है। डॉ. चौहान ने बताया कि 30 की उम्र में महिलाओं में फर्टिलिटी का स्तर कम होने लगता है। जिस कारण एक साल के अंदर ही उनकी मां बनने की क्षमता लगभग एक चौथाई कम होने लगती है।
ये होती है परेशानी
– इस उम्र की महिलाओं में एनीमिया की शिकायत मिलती है। यदि मां खून की कमी से जूझती है तो बच्चा भी कमजोर रहता है।
– अधिक उम्र की वजह से बच्चादानी पर असर होता है, इससे महिलाओं को ऑपरेशन कराना होता है।
– माहवारी में अनियमित्ता होती है।
– अधिक उम्र की वजह से संतानहीनता के केस बढ़ रहे हैं।
सुरक्षित मातृत्व का आधार
आहार
– फास्ट फूड न खाएं।
– हर दो घंटे में हल्का खाना।
– फलों की मात्रा को शामिल करें।
– भरपूर मात्रा में पानी पीना।
व्यवहार
– दिनचर्या में खुश रहना रहना।
– बात-बात में गुस्से से बचना।
– तनावमुक्त होकर काम करना।
– किसी से झगड़ा न करना।
निद्रा एवं आराम
– रात में 8 घंटे की नींद लेना।
– दिन में थकावट होने पर 1 घंटे आराम करना।
– भागदौड़ के कामों से दूरी बनाना।
योग
– हर तिमाही में योग के आसान बदलना
– सुबह-शाम टहलना
– मेडिटेशन और ध्यान लगाना
– हल्का संगीत और मंत्रों को सुनना
इसलिए मनाया जाता है दिवस
– गर्भवती महिलाओं में स्वास्थ्य की उचित देखभाल के उद्देश्य से हर साल 11 अप्रैल को मातृत्व सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस घोषित करने वाला भारत दुनिया का पहला राष्ट्र है। इस दिन महिलाओं गर्भवती महिलाओं के लिए कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है
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