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सागर

न्यू बॉयज हॉस्टल भवन 4 साल बाद भी पड़ा अधूरा

डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि में पूर्व में मंजूर हुए निर्माण कार्यों में से है यह एक, २४ करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि अब तक हो चुकी खर्च, सिर्फ 5 ब्लॉक तैयार

सागरJul 21, 2019 / 09:18 pm

आकाश तिवारी

New Boy's hostel building was still incomplete after 4 years

न्यू बॉयज हॉस्टल भवन 4 साल बाद भी पड़ा अधूरा

सागर. डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि में ५०० विद्यार्थियों के लिए बनाया जा रहा बॉयज हॉस्टल ४ साल बाद भी बनकर तैयार नहीं हो सका है। विवि प्रशासन और निर्माण एजेंसी बीच विवाद के कारण यह काम अधूरा पड़ा हुआ है। इधर नए सत्र में दाखिले की प्रक्रिया अतिंम चरणों में हैं। बाहरी राज्यों से आए छात्रों के लिए हॉस्टल में रहने जगह नहीं है। पुराने छात्रों के कारण नए छात्रों के लिए हॉस्टल में जगह कम पड़ रही है। साफ है कि इस बार अधिकांश नए और पुराने को छात्रों को किराय के मकान में रहना पड़ सकत है। बता दें कि विवि में बॉयज के लिए ४ हॉस्टल हैं, लेकिन हर साल दाखिला लेने वालों में छात्रों की संख्या अधिक होती है। यही वजह है कि विवि प्रशासन ने नए
बॉयज हॉस्टल बनाने का निर्णय लिया था, लेकिन परेशानी यह है कि अब तक यह भवन तैयार नहीं हो सका है।

-५ ब्लॉक बनकर तैयार

बताया जाता है कि हॉस्टल में ८ ब्लॉक बनाए जाना हैं। इसमें से ५ ब्लॉक बनकर तैयार हो चुके हैं। यह काम एचएससीएल कर रही है। जानकारी के अनुसार शेष तीन ब्लॉक बनाने के लिए टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि ५ ब्लॉकों को शुरू करने के लिए फर्नीचर की खरीदी शुरू हो गई है और सितम्बर महीने में संभवत: छात्रों को रहने के लिए दिया जा सकता है। जानकारी के अनुसार हॉस्टल का निर्माण तीन चरणों में होना था। २४ करोड़ रुपए की राशि अब तक विवि प्रशासन एचएससीएल को दे भी चुकी है।
-५ सौ छात्रों के लिए तैयार होना है कमरे
हॉस्टल की आधार शिला पूर्व कुलपति प्रो. एनएस गजभीए ने रखी थी। हालांकि उनके जाने के बाद विवि में काफी उठा पटक हुई थी। इस वजह से विवि में कई निर्माण कार्य अभी तक मूल रूप नहीं ले पाए हैं। जानकारी के अनुसार न्यू हॉस्टल में ५ सौ कमरे तैयार किए जाना है। इनमें से ३५० कमरे ही बन पाए हैं। हालांकि इन कमरों में अभी भी काम बचा है। बताया जाता है कि निर्माण के शुरू होने के बाद डिजाइन बदले जाना और समय पर भुगतान न होने के कारण भवन निर्माण पूरा होने में देर लग रही है।
-यह है बॉयज हॉस्टल
टगौर हॉस्टल

विवेकानंद हॉस्टल
रमन हॉस्टल

भावा हॉस्टल

-छात्राओं के लिए भी नहीं जगह

हर साल दाखिला लेने वाली छात्राओं के लिए सेकेंड हॉस्टल के कमरे एलॉट किए जाते हैं। लेकिन डेढ़ महीने से इस हॉस्टल में रिनोवेशन का काम चल रहा, जिसे पूरा होने में करीब ४ महीने और लग जाएंगे। बता दें कि इस हॉस्टल में १०० छात्राओं के रहने की जगह है। निवेदिता गल्र्स हॉस्टल सबसे पुराना है। दो साल पहले लक्ष्मीबाई गल्र्स हॉस्टल बना है।
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