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सागर

Road Accident : इस हाईवे की क्रॉसिंग पर है काल का ‘डेरा’, हर 30 घंटे में एक मौत

रोड एक्सीडेंट में इस साल 190 लोग अपनी जिंदगी से हाथ गंवा बैठे हैं। यहां शाम के समय सबसे ज्यादा हो रहे हादसे हो रहे हैं।

सागरSep 09, 2017 / 08:52 pm

दीपक राय

one person died on the roads every 30 hours

one person died on the roads every 30 hours

सागर. हाईवे पर अमानक जोड़, ड्रंक ड्राइविंग व ओवरलोडिंग-ओवरटेकिंग के कारण हादसों में इजाफा हो रहा है और जांच के बाद भी लगाम नहीं लग पा रही है। साल के अब तक के आठ महीनों में करीब 190 लोग हादसों में अपनी जान गवां चुके हैं, जबकि वर्ष 2016 में यह आंकड़ा 338 के पार था। इनमें सबसे ज्यादा संख्या 17 से 38 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों की है। आठ महीनों में इस वर्ग के 120 से ज्यादा युवा या तो मौके पर ही या उपचार के दौरान काल के गाल में समाए हैं। इनमें से भी 60 फीसदी से भी ज्यादा हादसों के समय शराब के नशे में थे। ट्रैफिक डीएसपी संजय खरे के अनुसार जिले के थाना क्षेत्रों में दर्ज होने वाली ज्यादातर दुर्घटनाएं शाम 5 से 8 बजे और तडक़े 4 बजे से 7 बजे के बीच होती हैं।

पांच एनएच-एसएच
जिले में 2 एनएच व 3 एसएच हैं। झांसी-लखनादौन फोरलेन रानीपुरा से मकरोनिया-बहेरिया से गुजरता है। बाछलोन, पटकुई, बरारू, बामोरा, बहेरिया, गंभीरिया, पामाखेड़ी, बम्होरी बीका, बेरखेड़ी गुरु, चितौरा से जुड़ती हैं। ये शहर से सटे वे स्पॉट भी हैं जहां सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। सडक़ हादसों के लिए भोपाल हाईवे पर रतौंना, भापेल, सीहोरा भी चिन्हित स्पॉट हैं। इन स्थानों पर ग्रामीण अंचल के रास्ते जुड़ते हैं और वाहन चालक कम रोशनी के समय अकसर बड़े वाहनों की चपेट में आ जाते हैं। वहीं मकरोनिया में ट्रैफिक का दबाव अत्यधिक होने से वाहनों की भिड़ंत आम हो गई है। इस हाईवे पर शहरी आबादी के अलावा छतरपुर-भोपाल के वाहनों का भी भार रहता है।
ब्लैक स्पॉट पर नहीं सुधार
दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की पहचान कर उन्हें ब्लैक स्पॉट घोषित किए जाने के बाद हादसों को रोकने के लिए यहां तकनीकी सुधार किए जाने थे। इसके लिए पुलिस व हाईवे की अथॉरिटी दो बार सर्वे भी कर चुकी और इस पर सडक़ सुरक्षा समिति की बैठकों में चर्चा भी हुई लेकिन कभी फंड की कमी तो कभी एजेंसियों में सामंजस्य के अभाव के चलते बड़े तकनीकी सुधार तो दूर रेडियम संकेतक, रोशनी की व्यवस्था भी नहीं की गई है।
भयावह है हादसों का आंकड़ा
वर्ष 2016 के दुर्घटना के आंकड़ों को देखा जाए तो सागर ने राजधानी भोपाल और ग्वालियर जैसे शहरों को भी काफी पीछे छोड़ दिया है। वर्ष 2016 में जिले में करीब 1645 दुर्घटनाएं रिकार्ड की गई जिनमें 338 लोगों की मौत हो गई जबकि 1351 लोग घायल भी हुए। इस अवधि में धार में सबसे ज्यादा 488, इंदौर में 431 और जबलपुर में 352 लोगों की मौत दर्ज की गई है।
रोड सेफ्टी कमेटी की अनुशंसा के अनुरूप दुर्घटना संभावित स्थलों का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की है। पुलिस मुख्यालय से इसके लिए निर्देश भी जारी किए गए हैं। इसकी कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
संजय खरे, डीएसपी ट्रैफिक सागर

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