सोमवार को अंडमान एक्सप्रेस में सीट पर बैठने को लेकर ऐसा विवाद हुआ कि मामला थाने तक जा पहुंचा। यदि बीना स्टेशन पर पुलिस समय पर नहीं पहुंचती तो मामला बढ़ भी सकता था। दरअसल पूरा विवाद टीसी के कारण ही हुआ था, जब वह किसी को सीट देते हैं तो उसका कंफर्म नंबर नहीं देते हैं इसके बाद जब सीट का रिजर्वेशन कराकर यात्रा करने वाला यात्री आता है तो विवाद की स्थिति बन जाती है। अंडमान एक्सप्रेस में इटारसी से बीना की यात्रा कर रहे यात्री अंकित जैन ने टीसी से बीना तक के लिए सीट मांगी तो उन्होंने बीना तक के लिए एस 4 में 1, 2, 3, 4 नंबर की बर्थ पर बैठने के लिए तो कह दिया, लेकिन टिकट पर नंबर नहीं दिया। जब सीट का रिजर्वेशन कराके यात्रा कर रहे यात्री वेंकटेश्वर ने सीट से उठने के लिए कहा तो सीट पर बैठने वाले यात्री अंकित ने टीसी से सीट एलॉट करने के बारे में बताया। अंकित ने आरोप लगाया है कि जब सीट पर बैठने को लेकर विवाद हुआ तो उसकी पत्नी ने बीच बचाव किया, जिसके साथ वेंकटेश्वर उसकी पत्नी व दो लड़कों ने मारपीट करनी शुरू कर दी जिससे उनकी पत्नी डिंपल को चोटें आई हैं। वहीं वेंकटेश्वर का आरोप है कि उसकी पत्नी जोयम के साथ अंकित व उसकी पत्नी ने मारपीट की है। उसने बताया कि उसकी एस ४ में बर्थ नंबर 4, 7, 22, 24 का रिजर्वेशन था। मारपीट की जानकारी होते ही बड़ी संख्या में अंकित के परिजन बीना स्टेशन पहुंच गए थे।
जीआरपी, आरपीएफ नहीं कर सकी स्थिति कंट्रोल
स्थिति बिगड़ती देख आरपीएफ व जीआरपी के जवान टे्रन आने के पहले ही प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर पहुंच गए थे। यह देख पुलिस के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने अतिरिक्त फोर्स बुलाया। ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके, लेकिन बावजूद इसके जीआरपी व आरपीएफ के जवान स्थिति को कंट्रोल करने में असफल रहे। पुलिस ने दोनों पक्षों को टे्रन से उतारकर सिविल अस्प्पताल में एमएलसी कराई। वेंकटेश्वर ने बताया कि वह परिवार के साथ चेन्नई से नई दिल्ली जा रहा था और सहारनपुर यूपी में सीआईएसएफ में है। वहीं अंकित भी मर्चेंट नेवी में नौकरी करता है।
25 मिनट तक स्टेशन पर खड़ी रही टे्रन
16031 अंडमान एक्सप्रेस दोपहर 12.55 बजे मिनट पर बीना स्टेशन पर पहुंच गई थी। लेकिन विवाद के कारण टे्रन करीब 25 मिनट तक स्टेशन पर ही खड़ी रही। इसके बाद स्टेशन प्रबंधक एमएस पिंका मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों को टे्रन से उतरवाने के बाद टे्रन को 1.20 मिनट पर रवाना कराया गया।
यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेलवे कितनी संजीदा है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंडमान एक्सप्रेस सहित दिन में चलने वाली कई अन्य टे्रनों में भी आरपीएफ के जवानों की ड्यूटी नहीं लगती है ऐसी स्थिति में यदि कोई घटना घट जाए तो इसकी जिम्मेंदारी किसकी होगी। यदि सोमवार को टे्रन में आरपीएफ होती तो विवाद मौके पर ही निपटाया जा सकता था।