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प्रभु के प्रति श्रद्धा जागृत हो जाने पर बन जाते हैं अंजन से निरंजन-मुनिश्री

सिद्धचक्र महामंडल विधान का हुआ समापन, 1024 अघ्र्य किए समर्पित

सागरJan 18, 2021 / 09:27 pm

आकाश तिवारी

थ्री इडियट्स के रैंचो की तरह सागर के दिव्यांंग लैब तकनीशियन ने ट्रेन में कराई डिलेवरी

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बीना. खिमलासा में मुनिश्री विमलसागर महाराज, मुनिश्री अनंतसागर महाराज, मुनिश्री धर्मसागर महाराज, मुनिश्री अचलसागर महाराज, मुनिश्री भावसागर महाराज के सान्निध्य और ब्र. नितिन भैया, ब्र. दीपक भैया टेहरका के मार्गदर्शन में 30 दिवसीय समवशरण और सिद्धचक्र महामंडल विधान कासमापन सोमवार को हुआ। जिसमें 1024 अर्घ समर्पित किए गए। आज सुबह हवन, पूर्णाहूति, अभिषेक और शांतिधारा के बाद सुबह 10 बजे श्रीजी की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी।
मुनिश्री विमलसागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आत्मा दिखाई नहीं देती, उसका कोई रूप, रस, गंध, वर्ण भी नहीं है। सिद्धों की आराधना जो व्यक्तिविशुद्धि पूर्वक करता है उसको उसका फल जरूर मिलता है। अनंतकाल से यह आराधना निरंतर चल रही है। सिद्धचक्र विधान में मुख्य भूमिका मैनासुन्दरी एवं राजा श्रीपाल की होती है, जो भी व्यक्ति धार्मिक अनुष्ठान में मन, वचन, काय से सहभागिता करता है, उसकी यश-कीर्ति में चार चांद लग जाते हंै। जिस व्यक्ति की प्रभु के प्रति श्रद्धा जागृत हो जाती है वह अंजन से निरंजन बन जाया करता है। उन्होंने कहा कि अपनी प्रशंसा में कभी ताली नहीं बजाना चाहिए। व्यक्ति को हमेशा दूसरों की प्रशंसा और अपने स्वयं में जो भी कमियां हो उसकी निंदा करें तो ही उसका जीवन सार्थक हो सकता है।
विधायक ने की पांच लाख रुपए देने की घोषणा
विधायक महेश राय ने मुनि संघ से प्रेरणा लेकर मंदिर के निर्माण के लिए विधायक निधि से पांच लाख रुपए देने की घोषणा की है। इसके साथ ही सरपंच प्रतिनिधि अशोक साहू ने भी सड़क निर्माण की स्वीकृति प्रदान कर मुनिश्री से आशीर्वाद लिया।

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